Gaza School Attack: गाजा में शनिवार सुबह इजराइल ने एक स्कूल पर हवाई हमला किया। इस हमले में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए। गाजा की सिविल डिफेंस एजेंसी के प्रवक्ता महमूद बासल ने बताया कि तीन इजराइली रॉकेटों ने स्कूल को निशाना बनाया। इस स्कूल में विस्थापित फिलिस्तीनी शरण ले रहे थे। घटना के बाद इलाके में राहत कार्य जारी हैं। इमारत में लगी आग को बुझाने की कोशिश की जा रही है
इजरायली सेना ने बताया ‘हमास का अड्डा’
इजरायली सेना (IDF) ने कहा कि हमने गाजा सिटी के अल-सहबा क्षेत्र में स्थित अल-तबाईन स्कूल को निशाना बनाया, क्योंकि इस स्कूल में हमास आतंकवादी (Hamas Terrorists) कमांड सेंटर संचालित हो रहे थे। इजरायली सेना ने दावा किया कि यह हमला सटीकता के साथ किया गया, ताकि कम से कम नागरिकों को नुकसान पहुंचे। वहीं, गाजा की सरकार ने इसे एक "भयानक नरसंहार" बताया है। इजराइली सेना (IDF) ने कहा है कि इस स्कूल में हमास का अड्डा चल रहा था, इसलिए हमने इसे उड़ा दिया।
इजराइल अफसरों ने पानी की आपूर्ति रोकी
गाजा में इजरायली हमले के बाद राहत कार्यों को करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, स्कूल में फंसे महिलाओं और बच्चों को बचाने में कठिनाइयां हो रही हैं, क्योंकि इजराइली अफसरों ने इलाके में पानी की आपूर्ति रोक दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शनिवार जिस समय स्कूल पर राॅकेट दागे गए, उस समय स्कूल में सुबह की प्रार्थना हो रही थी। हमले में कई बच्चों और शिक्षकों की भी मौत हुई है।
गाजा में बीते एक साल से युद्ध जारी
बता दें कि गाजा और इजरायल के बीच बीते एक साल से युद्ध जारी है। इस युद्ध की शुरुआत हमास के 7 अक्टूबर के हमले से हुई थी, जिसमें 1,198 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के जवाब में इजरायली सेना ने गाजा में बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान शुरू किया, जिसमें अब तक 39,699 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इजरायल ने हमास को पूरी तरह से खत्म करने का संकल्प लिया है।
कान यूनिस में भी इजरायली सैन्य अभियान जारी
इजराइली सेना का कहना है कि वह दक्षिण गाजा के कान यूनिस शहर के आसपास भी अभियान चलाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र मानवीय कार्यालय (OCHA) ने बताया कि पिछले 72 घंटों में कम से कम 60,000 फिलिस्तीनी पश्चिमी कान यूनिस की ओर चले गए हैं। अब इस युद्ध में ईरान समर्थित ग्रुप्स ने भी हमास की मदद शुरू कर दी है। ऐसे में मिडल ईस्ट में युद्ध की आशंका बढ़ गई है।