Hajj Deaths Indians: सऊदी अरब में इस साल हज यात्रा के दौरान 600 से अधिक लोगों की मौत हो गई। जिसमें 68 भारतीय हज यात्री भी शामिल हैं। हज यात्रा के अंतिम दिन छह भारतीयों की जान गई। भारतीयों की मौत की सूचना कई सप्ताह बाद सामने आई है।  बता दें कि इस साल सऊदी अरब में भीषण गर्मी पड़ रही है। इससे हज यात्रियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। 

किस वजह से हुई भारतीय हज यात्रियों की मौत 
हज यात्रा के दौरान जिन भारतीयों की मौत हुई है उनमें ज्यादातर बुजुर्ग थे। भारतीय हज यात्रियों की मौत प्राकृतिक कारणों या बुढ़ापे की वजह से हुई है। इसके साथ ही खराब मौसम और भीषण गर्मी भी इसकी एक वजह बताई जा रही है। बता दें कि इस साल भारत से 1,75,000 मुस्लिम मतावलंबी हज यात्रा के लिए सऊदी अरब के मक्का गए। 

भारत सरकार ने नहीं की है भारतीयों की मौतों की पुष्टि
इस साल मक्का गए कितने भारतीयों की मौत हुई है, इसकी भारत सरकार ने पुष्टि नहीं की है। भारत सरकार की ओर से अब तक इस बारे में आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। न्यूज एजेंसी AFP ने दो अज्ञात अरब डिप्लोमैट्स का हवाला देते हुए बताया है कि हज के दौरान 550 मौतें हुई हैं। हालांकि एएफपी ने खुद के कैलकुलेशन के आधार पर अब तक कुल 645 लोगों की मौत होने का दावा किया है। इनमें से 323 इजिप्ट के और 60 लोग जाॅर्डन के होने की बात कही है।

इस साल भारत से 1,75,000 मुस्लिम मतावलंबी हज यात्रा के लिए सऊदी अरब के मक्का गए। 

सात देशों के हज यात्रियों की हुई है मक्का में मौत
भारत, इजिप्ट और जॉर्डन के अलावा 5 अन्य देशों के हज यात्रियों की भी मौत होने की बात सामने आई है। इन पांच देशों में  इंडोनेशिया, ईरान, सेनेगल, ट्यूनीशिया और इराक के स्वायत्त कुर्दिस्तान क्षेत्र शामिल हैं। इन सभी देशों ने हज के दौरान अपने नागरिकों की मौत होने की पुष्टि की है। बता दें कि पिछले साल हज यात्रा के दौरान 200 से अधिक हज यात्रियों की मौत की सूचना मिली थी, जिनमें से ज्यादातर इंडोनेशिया के नागरिक थे।

बीते कुछ साल से हज की तारीखें सऊदी अरब में भीषण गर्मी के दौरान पड़ रही है।

भीषण गर्मी की वजह से मक्का में बेहोश हुए लोग
बीते कुछ दिनों में सऊदी अरब के मक्का और आसपास तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। भीषण गर्मी से कई लोग बेहोश हो गए। मक्का की ग्रैंड मस्जिद में सोमवार को तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। बता दें कि हज की तारीखें इस्लामी कैलेंडर के अनुसार तय की जाती है। बीते कुछ साल से हज की तारीखें सऊदी अरब में भीषण गर्मी के दौरान पड़ रही है।

दुनिया भर से 10.83 लाख मुसलमान हज करने पहुंचे
इस साल हज यात्रा में 10.83 लाख मुसलमान पहुंचे हैं। इनमें दुनिया के 22 देशों के 10.6 लाख मुसलमान शामिल रहे। सऊदी नेशनल सेंटर फॉर मेटेरोलॉजी के अनुसार, मक्का और शहर के आसपास के पवित्र स्थलों में तापमान हर दशक में 0.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ रहा है। भीषण गर्मी के दौरान हज यात्रियों के लिए सऊदी अरब सरकार की ओर से फ्री में ठंडे पानी और आइसक्रीम बांटा जा रहा है। कई लोग गर्मी से बचने के लिए ठंडा पानी सिर पर उड़ेलते नजर आए। 

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हज के पीछे की कहानी क्या है?
हज के पीछे की कहानी काफी पुरानी है. इसकी शुरुआत इब्राहिम और उनके बेटे इस्माइल से हुई थी। इब्राहिम को अल्लाह ने मक्का में एक तीर्थस्थान बनाने के लिए कहा था। इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माइल के साथ मिलकर काबा नामक इमारत बनाई, जिसका नाम काबा से लिया गया है। काबा को अल्लाह का घर माना जाता है और मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र स्थान है। हज की शुरुआत पैगंबर मोहम्मद के समय में हुई थी। उन्होंने 1400 अनुयायियों के साथ एक यात्रा शुरू की थी, जिसमें पैगंबर इब्राहिम की धार्मिक परंपरा को फिर से स्थापित किया गया था। इसी यात्रा को हज कहा जाता है। 

हज कितने दिन में पूरा होता है?
हज पांच दिन में पूरा होता है। हज यात्रा के पहले दिन, उमरा के बाद हज यात्री सुबह (फज्र) की नमाज पढ़कर मक्का से 5 किलोमीटर दूर मीना पहुंचते हैं। मीना में हाजियों को अहराम (पवित्र वस्त्र) पहनना होता है और मक्का की ओर जाना शुरू होता है। हज के दूसरे दिन श्रद्धालु अराफात के मैदान में एकजुट होकर अल्लाह की याद करते हैं। हज के तीसरे दिन हज यात्री मुजदलफा शहर जाते हैं, जहां वे रात भर अल्लाह की इबादत करते हैं। हज के चौथे दिन हज यात्री मिन्हा शहर लौटते हैं, जहां वे शैतान को पत्थर मारकर उसका प्रतीक नष्ट करते हैं। हज के पांचवें दिन हज यात्री काबा में जाकर नमाज पढ़ते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं। काबा मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र स्थान है।