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India Chabahar Port Pact: भारत और ईरान के बीच सोमवार (13 मई) को चाबहार पोर्ट से जुड़े एक अहम करार पर हस्ताक्षर हुए। अब भारत ने 10 साल के लिए चाबहार पाेर्ट का प्रबंधन अपने हाथों में ले लिया है। जानें इससे क्या होगा फायदा।

India Chabahar Port: भारत और ईरान के बीच सोमवार (13 मई) को चाबहार पोर्ट से जुड़े एक अहम करार पर हस्ताक्षर हुए। इस दौरान भारत के शिपिंग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और ईरान के सड़क और शहरी विकास मंत्री मेहरदार बजरपाश की मौजूदगी रहे। तेहरान में दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद इस समझौते को अंतिम रूप दिया गया। भारत ने 10 साल के लिए चाबहार पाेर्ट का प्रबंधन अपने हाथों में ले लिया है। यह बंदरगाह रणनीतिक तौर पर भारत के लिए अहम माना जाता है।

पोर्ट के मैनेजमेंट की सारी जिम्मेदारी अब भारत के पास
इस डील के फाइनल होने के साथ ही भारत का चाबहार के शाहिद बेहिश्ती पोर्ट से कार्गो और कंटेनर टर्मिनलों के ऑपरेशन कंट्रोल करेगा। भारत ने इस पोर्ट से इन सर्विसेज के लिए 23 मई 2016 को एक करार किया था। केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि अब इसके लिए भारत और ईरान के बीच एक लॉन्ग टर्म का कॉन्ट्रैक्ट हो गया है। इसका सीधा मतलब है कि पोर्ट के मैनेजमेंट की सारी जिम्मेदारी अब भारत के पास होगी। 

यह पहला मौका है जब भारत किसी विदेशी पाेर्ट का प्रबंधन करेगा
चाबहार पोर्ट के मैनेजमेंट का कंट्रोल मिलना भारत के लिए एक रणनीति जीत है। यह पहला मौका है जब भारत किसी विदेशी पाेर्ट की प्रबंधन का पूरा काम देखेगा। एक तरह से भारत ने इस पोर्ट को 10 साल के लिए पट्टे पर यानी कि लीज पर ले लिया है। यह समझौता समुद्री ट्रेड के क्षेत्र में भारत को अपनी पैठ में मजबूत करने में मददगार साबित होगा। भारत बेहद ही आसानी से अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से समुद्री व्यापार कर सकेगा। 

पाकिस्तान और चीन दोनों को कैसे लगेगा इसे डील से झटका?

  • भारत ने इस समझौते को मूर्त रूप देकर एक तीर से दो निशाना लगाया है। मौजूदा समय में अगर भारत को अफगानिस्तान माल भेजना होता था तो इसे पाकिस्तान की समुद्री सीमा में दाखिल होने की जरूरत होती थी।
  • पाकिस्तान अक्सर इस बात के लिए ऐंठा करता था। इस समझौते के बाद पाकिस्तान पर भारत की निर्भरता पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। वहीं, अमेरिका भी इस पोर्ट के लिए हुए समझौते के तहत भारत को कई सहूलियतें देगा।
  • ऐसे में पाकिस्तान के चीन द्वारा डेवलप किए गए ग्वादर पोर्ट की तुलना में यह समुद्री व्यापार के लिहाज से एक किफायती विकल्प है। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि इस समझौते से भारत ने एक तीर से दो निशाना किया है और पाकिस्तान और चीन दोनों को चित्त कर दिया है।

इस समझौते से क्या होगा भारत को फायदा? 
अब जानिए इस समझौते से भारत को क्या फायदा होगा। इससे अफगानिस्तान के साथ ही इस पोर्ट के जरिए भारत के मध्य एशियाई देशों में भी अपना ट्रेड बढ़ा सकेगा। गैस और तेल आसानी से भारत लाया जा सकेगा। भारत के लिए रूस, यूरोप, मध्य एशिया, अफगानिस्तान, आर्मेनिया और अजरबैजान जैसे देशों के साथ ट्रेड करने में आसानी होगी। लंबे समय से भारत ईरान के चाबहार पोर्ट के प्रोजेक्ट से जुड़ा हुआ था। इस पोर्ट से भारत के साथ ही अफगानिस्तान को भी फायदा होगा। दोनों को समुद्री ट्रेड के लिए वैकल्पिक रास्ता मिलेगा। समझौते के तहत भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) पोर्ट को और बेहतर ढंग से डेवलप करने के लिए करीब 10 हजार करोड़ रुपए का इनवेस्टमेंट करेगी। 

चाबहार पोर्ट के लिए कब कैसे आगे बढ़ी बात

  • चाबहार बंदरगाह पर काम तब शुरू हुआ जब अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधान मंत्री थे। 2003 के आसपास भारत और ईरान के बीच इस प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा हुई थी. हालांकि,अमेरिका और ईरान के बीच तनातनी के कारण ये वार्ता रोक दी गई थी। मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान चाबहार पोर्ट में 800 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना थी।
  • 2016 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान का दौरा किया तो बंदरगाह को लेकर चर्चा आगे बढ़ी। पीएम मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और अफगानिस्तान के तत्काीलन राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। भारत ने चाबहार बंदरगाह पर एक टर्मिनल में 700 करोड़ रुपये का निवेश करने का वादा किया। साथ ही इसे डेवलप करने लिए 1250 करोड़ रुपये का लोन भी ऑफर किया। 
  • पिछले साल नवंबर में विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कनेक्टिविटी बढ़ाने पर चर्चा के लिए ईरानी विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से बात की थी। चाबहार पोर्ट पर काम कर रही भारतीय कंपनी आईपीजीएल के मुताबिक, पूरी तरह विकसित होने पर इसकी क्षमता 82 मिलियन टन होगी। इसके बन जाने पर ईरान के बंदर अब्बास पोर्ट से जहाजों की आवाजाही कम होगी। चूंकि, चाबहार पोर्ट पर आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल होगा इसलिए यहां से माल को दूसरे जगहों पर भेजना और लाना आसान होगा।
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