Maldives Plans Road Shows in India: मालदीव और भारत सरकार के बीच राजनयिक विवाद जारी है। इस बीच मालदीव भारतीय पर्यटकों को लुभाने कके लिए भारत के कई शहरों में रोड शो कराएगा। हालांकि ये कब और कहां होंगे, इसकी जानकारी नहीं दी गई है। मालदीव में लगातार भारतीय पर्यटकों की संख्या में गिरावट आ रही है।
मालदीव एसोसिएशन ऑफ ट्रैवल एजेंट्स एंड टूर ऑपरेटर्स (MATATO) ने गुरुवार रात भारत के हाई कमिश्नर मुनु महावर से दोनों देशों के बीच यात्रा और पर्यटन सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।
क्यों भारतीयों ने मालदीव से मुंह मोड़ा?
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए साल के पहले हफ्ते में लक्षद्वीप गए थे। 6 जनवरी को पीएम मोदी ने अपने एक्स हैंडल पर भारत के पश्चिमी तट पर प्राचीन लक्षद्वीप द्वीपों की तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए। इसके बाद मालदीव के तीन मंत्रियों ने भारत और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की। इससे भारतीयों में गुस्सा भर गया और सोशल मीडिया बायकॉट मालदीव कैंपेन चल उठा।
बॉलीवुड, खेल समेत अन्य कई मशहूर हस्तियों सहित करोड़ों भारतीयों ने मालदीव का विरोध किया। कई पर्यटकों ने मालदीव की बुकिंग रद्द कर दी। इससे पहले तक मालदीव में सबसे ज्यादा भारतीय पर्यटक जाते थे। लेकिन जनवरी के बाद पहले पांचवें और अब छठे स्थान पर भारत पर्यटकों का आंकड़ा आ गया है।
10 अप्रैल तक महज 37 भारतीय पर्यटक पहुंचे मालदीव
मालदीव के पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस साल 10 अप्रैल तक कुल 6,63,269 पर्यटकों मालदीव पहुंचे। इनमें सबसे ज्यादा चीन के 71,995 पर्यटक मालदीव आए इसके बाद यूनाइटेड किंगडम (66,999), रूस (66,803), इटली (61,379), जर्मनी (52,256) और भारत (37,417) का स्थान रहा।
MATATO ने कहा कि उन्होंने पर्यटन पहल को बढ़ावा देने के लिए मालदीव में भारतीय उच्चायोग के साथ मिलकर सहयोग करने का इच्छा व्यक्त की है। इसी कड़ी में प्रमुख भारतीय शहरों में रोड शो शुरू करने और आगामी महीनों में मालदीव में प्रभावशाली और मीडिया परिचित यात्राओं को सुविधाजनक बनाने की योजना पर काम चल रहा है।
राष्ट्रपति मुइज्जू की नीतियों के चलते विरोध
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का झुकाव चीन के प्रति है। जबकि पूर्ववर्ती सरकारों का भारत से रिश्ते अच्छा रहा है। मुइज्जू भारत विरोध के दम पर सत्ता में आए हैं। उन्होंने पिछले साल नवंबर में शपथ लेने के कुछ घंटों के भीतर भारत से अपने 88 सैन्य कर्मियों को देश से वापस लेने के लिए कहा था। यह भी कहा था कि सैनिकों की उपस्थिति उनके देश की संप्रभुता के लिए खतरा है।
मुइज्जू ने 10 मई तक सभी 88 सैनिकों को भारत वापस जाने के लिए कहा था। ये सैनिक दोनों के देशों के बीच हुए समझौते के तहत वहां थे। भारतीय सैनिकों का एक जत्था भारत लौट चुका है।