Russia News: रूस में एक एमआई-8टी हेलिकॉप्टर शनिवार (31 अगस्त) को उड़ान भरने के कुछ देर बाद देश के सुदूर पूर्व क्षेत्र में स्थित कामचटका प्रायद्वीप में लापता हो गया। हेलिकॉप्टर में चालक दल के 3 सदस्यों सहित कुल 22 लोग सवार थे। न्यूज एजेंसी इंटरफैक्स ने रूस की एयर ट्रांसपोर्ट एजेंसी के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया कि हेलिकॉप्टर ने कामचटका इलाके में वाचकाझेट्स ज्वालामुखी के पास स्थित एक बेस से निकोलेवका के लिए उड़ान भरी थी। इसके हादसाग्रस्त हो जाने की आशंका है।
लापता हेलिकॉप्टर की तलाश में जुटे
बता दें कि भारतीय समयानुसार हेलिकॉप्टर को सुबह 9 बजकर 30 मिनट पर बेस पर वापस लौटना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कई बार प्रयास करने के बावजूद क्रू मेंबर्स से संपर्क नहीं हो सका। जानकारी के अनुसार, हेलिकॉप्टर में चालक दल के सदस्यों के अलावा पर्यटक सवार थे। लापता हेलिकॉप्टर की तलाश में जुट गए हैं।
Russian helicopter carrying 22 people goes missing near the Vachkazhets volcano in Kamchatka region, #Russia.
— All India Radio News (@airnewsalerts) August 31, 2024
Mi-8T helicopter, operated by Vityaz-Aero airline, lost communication shortly after takeoff this morning. The Federal Air Transport Agency said that the helicopter…
Mi-8, 1960 के दशक में डिजाइन किया गया दो इंजन वाला हेलिकॉप्टर है, जिसका उपयोग रूस और पड़ोसी देशों में बड़े पैमाने पर किया जाता है। भारत ने पहली बार 1971 में रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) से MI-8T हेलिकॉप्टर खरीदा था। इसके बाद 1988 तक कुल 107 MI-8T हेलिकॉप्टर भारत द्वारा सैन्य उपयोग के लिए खरीदे गए।
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कुछ दिन पहले झील में गिर गया था MI-8T हेलिकॉप्टर
सरकारी समाचार एजेंसी आरआईए ने बताया था कि यह हेलिकॉप्टर मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग से पर्यटकों को ले जा रहा था और दुर्घटनाग्रस्त होकर झील में गिर गया। बता दें कि कामचटका प्रायद्वीप मॉस्को से 6,000 किमी (3,728 मील) पूर्व में और अलास्का से लगभग 2,000 किमी पश्चिम में पड़ता है। यहां लगभग 160 ज्वालामुखी हैं और उनमें से 29 सक्रिय हैं।
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दुनिया के 50 से ज्यादा देश MI-8 का करते हैं इस्तेमाल
पहली बार रूसी सेना ने 1967 में इस हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया था। इसकी कीमत 125 करोड़ रुपए है। MI-8T दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले हेलिकॉप्टरों में से एक है। भारत, चीन, ईरान समेत 50 से भी ज्यादा देश इसका इस्तेमाल सिविल और मिलिट्री उद्देश्यों के लिए करते हैं।