Nepal 100 Note:नेपाल के एक फैसले से भारत के साथ इसके संबंधों में एक बार फिर तनाव आ सकता है। नेपाल 100 रुपए के ऐसे नोट छापने वाला है जिनमें भारत के 3 क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा दिखाया जाएगा। विवादित क्षेत्रों को अपने 100 रुपये के नए नोटों पर छापने के नेपाल के फैसले से नया विवाद शुरू हो सकता है। नेपाल सरकार की प्रवक्ता रेखा शर्मा ने नए नोटो को छापने के बारे में जानकारी दी है।
नेपाल की कैबिनेट मीटिंग में लिया गया फैसला
इन विवादित क्षेत्रों को करेंसी नोटों में शामिल करने का निर्णय हाल ही में नेपाली कैबिनेट की बैठक में लिया गया। नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड की अध्यक्षता में दो कैबिनेट बैठकों में इस पर चर्चा हुई। 25 अप्रैल और 2 मई को नेपाल सरकार की कैबिनेट ने नोटों के नए डिजाइन के बारे में चर्चा की। इसके बाद 100 रुपए के नए नोट छापने का फैसला लिया गया है। बीते चार साल में यह दूसरा मौका है जब नेपाल ने जान बूझ कर भारत के साथ अपने सीमा विवाद को हवा देने की कोशिश की है।
ओली की पार्टी से गठबंधन का साइड इफेक्ट?
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड को भारत का समर्थक माना जाता रहा है। हालांकि, हाल ही में प्रचंड की पार्टी ने नेपाली कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ लिया है। साथ ही केपी शर्मा की अगुवाई वाली सीपीएन-यूएमएल पार्टी के साथ गठबंधन किया है। ओली की छवि चीन समर्थक नेता के तौर पर रही है। इस फैसले के पीछे भी ओली की भूमिका होने की बात कही जा रही है। ओली कई बार सार्वजनिक तौर पर चीन के साथ अपने निकटता जाहिर कर चुके हैं।
भारत-नेपाल में किन तीन इलाकों को लेकर है विवाद
बता दें कि जिन विवादित क्षेत्रों को नेपाल ने अपने 100 रुपए के नए नोटों पर छापने का फैसला किया है, उनमें लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी शामिल हैं। इन तीनों क्षेत्रों को लेकर तीन दशकों से ज्यादा समय से दोनों देशों के बीच विवाद रहा है। 2020 में ओली की अगुवाई वाली सरकार के समय ही नेपाल की संसद ने भारतीय क्षेत्रों को अपना बताते हुए विधेयक पारित किया था। नेपाल द्वारा एक पॉलिटिकल मैप जारी किया गया था। इस पॉलिटिकल मैप में भी इन तीनों क्षेत्रों को अपना बताया था। इस फैसले की भारत ने आलोचना की थी।
क्या है भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद?
भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद को लेकर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के बीच 1819 में सुगौली संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। इस समझौते में बताया गया था कि काली नदी के आधार पर ही नेपाल और भारत की पश्चिमी सीमा तय होगी। अब काली नदी कहां से शुरू होती है यानी कि काली नदी का उद्गम स्थल कहां है, इस बात काे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है, ऐसे में जहां नेपाल 1819 की संधि के आधार पर तीन भारतीय इलाकों पर अपना दावा पेश करता रहा है।