राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(NSA) चीन दौरे पर हैं। बुधवार (18 दिसंबर) को डोभाल ने भारत और चीन के बीच लंबे समय से जारी सीमा विवाद को लेकर विशेष प्रतिनिधि स्तर की बैठक में शामिल हुए। पांच साल बाद भारत-चीन के बीच स्पेशल रिप्रजेंटेटिव्स की यह पहली बैठक है। इस स्तर की आखिरी बैठक 2019 में हुई थी। बैठक में चीन की ओर से विदेश मंत्री वांग यी मौजूद थे। चीन के समय के मुताबिक सुबह 10 बजे यह बैठक शुरू हुई। 

डोभाल ने इस बैठक में भारत का पक्ष रखा। यह बातचीत ऐसे समय में हो रही है जब भारत ने अपने सख्त रुख से चीन पर दबाव बनाया है और हाल ही में लद्दाख के विवादित क्षेत्रों में भारतीय सेना ने दोबारा पेट्रोलिंग शुरू की है।

पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद पहली बार उच्च स्तरीय वार्ता  
बैठक में पूर्वी लद्दाख में पेट्रोलिंग शुरू करने और एलएसी (LAC) पर विवादित क्षेत्रों को सुलझाने पर चर्चा हुई। एनएसए डोभाल ने इस बैठक में चीन सीमा पर अप्रैल 2020 की स्थिति को बहाल करने पर जोर दिया। बता दें कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा पर को-ऑर्डिनेटेड पेट्रोलिंग शुरू करने का फैसला किया है। इस बैठक में लद्दाख के दूसरे क्षेत्रों में भी ठीक इसी प्रकार पेट्रोलिंग शुरू करने पर चर्चा हुई। 

चीन ने पीएम मोदी और शी जिनपिंग की सहमति का किया जिक्र  
बैठक से पहले चीन ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बनी सहमति का सम्मान करने को तैयार है। चीन के विदेश मंत्रालय ने द्विपक्षीय संबंधों को पटरी पर लाने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई है। प्रवक्ता लिन जियान ने आपसी विश्वास को मजबूत करने और एक-दूसरे के हितों का सम्मान करने पर जोर दिया। 

भारत ने वैश्विक मंचों से उठाया है सीमा विवाद का मुद्दा
भारत ने कई मौकों पर चीन को स्पष्ट संदेश दिया है कि अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करना ही सीमा विवाद के समाधान की दिशा में पहला कदम होगा। भारत ने ब्रिक्स, एससीओ और क्वाड जैसे मंचों पर अपनी बढ़ती भूमिका के जरिए चीन पर कूटनीतिक दबाव बनाया है। जी20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन ने भी भारत की वैश्विक स्थिति को और मजबूत किया। इस वजह से चीन को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा।  

75% सीमा विवाद सुलझ चुका है: जयशंकर  
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सीमा के 75% मुद्दों का समाधान हो चुका है। उन्होंने भरोसा जताया कि जल्द ही बाकी विवादों को भी सुलझा लिया जाएगा। भारत की तरफ से लद्दाख में सैन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया है, जिसे हटाना संभव नहीं है। यह बैठक भारत और चीन के रिश्तों को स्थिर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।