PM Modi Xi Jinping BRICS Bilateral Meet: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रूस के कजान में चल रहे BRICS सम्मेलन के दौरान अहम द्विपक्षीय वार्ता होने जा रही है। यह वार्ता 2020 के गालवान संघर्ष के बाद दोनों नेताओं की पहली औपचारिक बैठक होगी। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद (India-China Border Dispute) के बाद यह बैठक विशेष महत्व रखती है। इस बैठक से उम्मीद की जा रही है कि भारत-चीन संबंधों में तनाव को कम करने और भविष्य में शांति बहाल करने के प्रयास होंगे।

गलवान संघर्ष के बाद पहली औपचारिक वार्ता  
2020 में गालवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद से भारत और चीन के संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए थे। इस संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच कई बातचीत की कोशिशें हुईं, लेकिन पूर्ण रूप से स्थिति सामान्य नहीं हो पाई थी। (Galwan clash) अब BRICS सम्मेलन के दौरान हो रही इस वार्ता से उम्मीद है कि दोनों देश सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाएंगे। 

सीमा विवाद को लेकर बात आगे बढ़ने की उम्मीद
हाल ही में दोनों देशों के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर पेट्रोलिंग व्यवस्था पर सहमति बनी है। यह व्यवस्था 2020 से पहले की स्थिति पर लौटने की कोशिश है, जो कि दोनों देशों के बीच विश्वास बहाल करने और सीमा विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने में मदद कर सकती है। (LAC patrol arrangement) यह प्रगति दोनों देशों के सैनिकों की संख्या में कमी लाने और तनाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

BRICS में दूसरे नेताओं के साथ होगी बातचीत
इस सम्मेलन में पीएम मोदी और शी जिनपिंग के अलावा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा भी मौजूद हैं। यह वार्ता BRICS देशों के बीच वैश्विक मुद्दों पर सहमति बनाने का एक मंच भी है। (BRICS summit) ऐसे में भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सुधार का सीधा असर इस समूह के अन्य सदस्यों पर भी पड़ सकता है। 

पिछली बार जोहान्सबर्ग में मिले दोनों नेता
गालवान संघर्ष के बाद से प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच औपचारिक संवाद बहुत कम हुए हैं। 2023 में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में हुए BRICS सम्मेलन के दौरान भी दोनों नेताओं के बीच एक बैठक हुई थी। इसके अलावा 2022 में इंडोनेशिया के बाली में हुए G20 सम्मेलन के दौरान भी एक अनौपचारिक बातचीत हुई थी। लेकिन, यह पहली बार है जब दोनों नेता विस्तृत वार्ता करेंगे। 

दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की उम्मीद  
भारत और चीन के बीच संबंधों में आई कड़वाहट का असर अन्य क्षेत्रों में भी देखा गया था। पिछले चार सालों से दोनों देशों के बीच कोई सीधी फ्लाइट सेवा नहीं थी। साथ ही, चीनी टेक्नीशियनों को वीजा मिलने में भी सुरक्षा संबंधी अतिरिक्त प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ रहा था। अब इस बैठक के बाद उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के बीच व्यापार और अन्य क्षेत्रों में भी संबंध सुधरेंगे।