पोप फ्रांसिस का निधन: कौन होगा नया पोप? कैसे होता है चयन; जानें सफेद और काले धुएं का महत्व

Pope Slection process: रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी लीडर पोप फ्रांसिस सोमवार (21 अप्रैल) को 88 साल की उम्र में निधन हो गया। वह किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रसित थे। पोप फ्रांसिस के निधन के बाद नया पोप कौन होगा और उनका चुनाव कैसे होगा? इसे लेकर लोगों में जिज्ञासा है। आइए नए पोप फ्रांसिस के चयन की पूरी प्रक्रिया समझते हैं।
पोप, रोमन कैथोलिक चर्च का सर्वोच्च पद होता है। उन्हें संत पीटर का उत्तराधिकारी माना जाता है। पीटर येशु मसीह के प्रमुख शिष्य थे। यही कारण है कि पोप को चर्च के सिद्धांतों और आस्थाओं पर पूरा अधिकार प्राप्त है।
कैसे चुना जाता है नया पोप?
पोप के चयन की प्रक्रिया काफी रहस्यमयी और दिलचस्प है। इसे कॉन्क्लेव कहते हैं। यह प्रक्रिया कॉलेज ऑफ कॉर्डिनल्स द्वारा संपन्न कराई जाती है। कॉलेज ऑफ कॉर्डिनल्स में 252 वरिष्ठ कैथोलिक अधिकारी हैं। इनमें से 138 की उम्र 80 वर्ष से कम है। मतदान प्रक्रिया में सिर्फ यही कॉर्डिनल्स हिस्सा ले सकेंगे। 80 वर्ष से अधिक उम्र वाले कॉर्डिनल सिर्फ बहस में हिस्सा लेंगे। उन्हें मतदान का अधिकार नहीं होता।
काले और सफेद धुंए का महत्व?
नए पोप के चयन की प्रक्रिया वेटिकन की सिस्टीन चैपल में होती है। मतदान के बाद वैलेट पेपर को विशेष कैमिकल डालकर जलाया जाता है। धुंआ काला निकले तो लोग समझ जाते हैं कि चुनाव प्रक्रिया चल रही है और यदि धुंआ सफेद हुआ तो मान लिया जाता है कि पोप का चयन हो गया है। कुछ देर बाद नए पोप अपने चुने हुए नाम के साथ लोगों के सामने आते हैं।
कौन होगा नया पोप?
- पोप के लिए कोई उम्र सीमा निर्धारित नहीं है, लेकिन कोई पुरुष ही इस पद पर आसीन हो सकता है। सिद्धांतों के अनुसार, बपतिस्मा ( बैप्टिज्मा) हासिल कर चुका कोई कैथोलिक पुरुष पोप बन सकता है, लेकिन परंपरा कोई कार्डिनल ही इस पद पर चुने जाते रहे हैं। इसके लिए कार्डिनल्स के दो-तिहाई वोट जरूरी हैं।
- किसी कार्डिनल को जब तक दो तिहाई वोट नहीं मिल जाते, मतदान प्रक्रिया जारी रहती है। 2013 में चुने गए पोप फ्रांसिस पहले दक्षिण अमेरिकी पोप थे। इससे पहले यूरोपीय देश खासकर, इटली से अधिकतर पोप चुने जाते रहे हैं। इस बार भी ऐसा ही होने की संभावना ज्यादा है।
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कौन थे पोप फ्रांसिस?
- पोप फ्रांसिस का जन्म 17 दिसम्बर 1936 को अर्जेंटीना के फ्लोरेंस शहर में हुआ था। पोप बनने से पहले वह जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो नाम से जाने जाते थे। तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी से बचने के लिए इनका परिवार इटली छोड़कर अर्जेंटीना चला गया था।
- पोप फ्रांसिस का ज्यादातर जीवन अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में बीता। 21 साल की उम्र में 1958 में जेसुइट समुदाय में शामिल हुए। 1969 में ब्यूनस आयर्स में पादरी बने।
- 1998 में ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप बने। 2001 में पोप जॉन पॉल ने फ्रांसिस को कार्डिनल बनाया। 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप चुने गए।
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