Logo
Spacebug ISS: अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर नासा की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और उनकी टीम के सामने एक नई चुनौती उभर कर आई है। वहां एक सुपरबग (Superbug) का पता चला है। जानें क्या है यह स्पेसबग और इससे क्या हो सकता है खतरा।

Spacebug ISS: इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर नासा की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और उनकी टीम के सामने एक नई चुनौती उभर कर आई है। वहां एक सुपरबग (Superbug) का पता चला है, जो बहुत ही ज्यादा प्रतिरोधक है, यह अंतरिक्ष में भी जीवित है, जबकि वहां ग्रैविटी शून्य और वातावरण धरती की तुलना में बिल्कुल अलब है। इस सुपरबग पर मौजूदा एंटीबायोटिक्स पर असर नहीं हो रहा है। यह स्थिति अंतरिक्ष यात्रियों के लिए गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकती है।

क्या है यह स्पेसबग?
नासा के अनुसार, ISS में एंटेरोबैक्टर बुगन्डेंसिस नामक बैक्टीरिया पाया गया है। यह बैक्टीरिया धरती पर मिट्टी, गंदे पानी और इंसानी आंत में पाया जाता है। इंसानों तक इसका संक्रमण आमतौर पर अस्पतालों या संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने पर होता है। यह बैक्टीरिया बैक्टीरिमिया (खून में बैक्टीरियल संक्रमण), सेप्टिक अर्थराइटिस, स्किन इंफेक्शन, श्वसन तंत्र के संक्रमण और पेट की गड़बड़ी जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है।

अंतरिक्ष तक कैसे पहुंचा स्पेसबग?
यह बैक्टीरिया धरती से ही ISS तक पहुंचा है। पूरी सावधानी बरतने के बावजूद, अंतरिक्ष यात्रियों या रॉकेट के माध्यम से बैक्टीरिया वहां पहुंच सकते हैं। ISS का वातावरण अत्यधिक नियंत्रित होता है, वहां कोई ग्रेविटी नहीं होती और सोलर रेडिएशन अधिक होता है। इसके बावजूद, यह बैक्टीरिया वहां जीवित रहने में सक्षम है, जो एक गंभीर समस्या का संकेत है।

एस्ट्रोनॉट्स के लिए कितना खतरनाक है स्पेसबग?
इस स्पेसबग का ड्रग रेजिस्टेंट होना इसे और भी खतरनाक बनाता है। ISS में अब तक बुगन्डेंसिस बैक्टीरिया के 13 स्ट्रेन्स पाए जा चुके हैं, जो इसके तेजी से बढ़ने का संकेत है। जिस तरह कोराना वायरस में म्यूटेट होने की क्षमता थी, ठीक उसी प्रकार यह बैक्टीरिया भी लगाातर म्यूटेट हो रहा है। अंतरिक्ष के बंद वातावरण में इस बैक्टीरिया का बढ़ना और म्यूटेशन होना इसे अधिक खतरनाक बना रहा है।

एस्ट्रोनॉट्स की सेहत पर असर
स्पेस में रहने के दौरान एस्ट्रोनॉट्स की सेहत पर कई तरह के असर होते हैं। वे सर्दी, गला खराब होना, स्किन पर चकत्ते और एलर्जी जैसी समस्याओं से ग्रसित हो सकते हैं। अंतरिक्ष में ब्रेन फंक्शन भी बदलता है, जिसे न्यूरोप्लासिसिटी कहा जाता है। स्पेस की एक्सट्रीम कंडीशन के कारण दिमाग अलग तरह से व्यवहार करने लगता है, जिससे एस्ट्रोनॉट्स की मोटर और कॉग्निटिव स्किल पर असर पड़ता है।

 अंतरिक्ष से लौटने पर एस्ट्रोनॉट्स में क्या बदलाव दिखते हैं?
धरती पर लौटने के बाद, एस्ट्रोनॉट्स को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। शून्य ग्रैविटी में लंबे समय तक रहने और स्पेसशूट कैरी करने के कारण अंतरिक्ष यात्रियों के धरती पर लौटने के बाद  चलने, बैलेंस बनाने में मुश्किल होती है। उनकी कॉग्निटिव स्किल्स भी प्रभावित होती हैं और आंखें कमजोर हो जाती हैं। ये समस्याएं लंबे समय तक बनी रह सकती हैं। इसलिए जैसे ही अंतरिक्ष यात्री धरती पर लौटते हैं, उन्हें मेडिकल ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है। 

5379487