Spain Flood: स्पेन के पूर्वी क्षेत्र में अचानक आई बाढ़ ने तबाही मचा दी है, जहां 158 लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों लोग लापता हैं। वेलेंसिया और गोडेलेटा में आई इस बाढ़ को पांच दशकों में यूरोप की सबसे बड़ी आपदा माना जा रहा है। प्रशासन और राहत टीमों की कोशिश जारी है, लेकिन बाढ़ का प्रकोप इतना बड़ा है कि कई जगहों पर पहुंचना मुश्किल हो गया है। इस घटना ने स्पेन के आधुनिक इतिहास की सबसे भयानक आपदाओं में अपना नाम दर्ज किया है।

बाढ़ से प्रभावित हुआ वेलेंसिया क्षेत्र
वेलेंसिया क्षेत्र में मंगलवार को सिर्फ आठ घंटों में पूरे साल की बारिश हो गई, जिससे इस इलाके में जलभराव की स्थिति हो गई। भारी बारिश के कारण बने अचानक जल प्रवाह ने सड़कों, घरों और फसलों को अपनी चपेट में ले लिया। आपदा से उभरने के लिए अब स्पेन को बड़े पैमाने पर मदद की जरूरत है। बाढ़ के बाद गांवों और कस्बों में भी पानी भरा है, जिससे जीवन सामान्य होने में अभी वक्त लगेगा।

लापता लोगों की खोज में जुटे बचाव दल
बचाव दलों ने वेलेंसिया के आसपास के क्षेत्रों में आठ शव बरामद किए हैं, जिनमें एक स्थानीय पुलिसकर्मी भी शामिल है। अधिकारियों का कहना है कि कई लोग अभी भी लापता हैं, जिन्हें खोजने का काम जारी है। इन लोगों में कई ऐसे हैं, जो बाढ़ के समय घरों या वाहनों में फंसे थे। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में पानी कम होने पर ही लापता लोगों की सही संख्या का पता चल सकेगा।

नेताओं ने जताई नाराजगी
इस आपदा के बाद स्पेन की सरकार पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्षी नेताओं ने केंद्रीय सरकार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने समय रहते लोगों को चेतावनी नहीं दी। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि अगर समय पर चेतावनी दी जाती, तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी। इस घटना के बाद अब स्पेन में आपदा प्रबंधन को लेकर चर्चा शुरू हो गई है।

बाढ़ से बर्बाद हुआ स्पेन का प्रमुख कृषि क्षेत्र
इस बाढ़ ने वेलेंसिया क्षेत्र के कृषि पर भी भारी असर डाला है। यह क्षेत्र स्पेन के नारंगी जैसे खट्टे फलों के उत्पादन का मुख्य केंद्र है। कई किलोमीटर तक की सड़कें बह चुकी हैं और खेतीबाड़ी वाले इलाके जलमग्न हो गए हैं, जिससे यहां की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। इस आपदा ने स्पेन के कृषि क्षेत्र को गंभीर संकट में डाल दिया है, जिसके लिए अब बड़े पैमाने पर सहायता की जरूरत है।

जलवायु परिवर्तन के असर का नतीजा: विशेषज्ञ
विज्ञानियों का कहना है कि यह आपदा जलवायु परिवर्तन का नतीजा है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, उत्तरी अटलांटिक महासागर के ऊपर से आने वाली नमी ने इस आपदा को और भयावह बना दिया। तापमान बढ़ने के कारण ऐसी मूसलाधार बारिश और तूफानों की संभावना बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए अगर अब ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो ऐसी घटनाएं भविष्य में और बढ़ सकती हैं।