Taiwan Remarks on Indian Migrant Workers: कहते हैं कि कीचड़ उछालोगे तो उसके छींटे खुद पर पड़ेंगे। ऐसा ही हाल ताइवान का हुआ है। ताइवान की श्रम मंत्री सू मिंग चुन ने भारतीय प्रवासी श्रमिकों के खिलाफ एक बयान देकर अपने ही देश को शर्मसार कर दिया है। श्रम मंत्री चुन की नस्लभेदी टिप्पणी के लिए ताइवान को माफी मांगनी पड़ी है। खुद चुन ने भी अपनी टिप्पणी के लिए माफीनामा जारी किया है।
ईसाई निर्माण और खेती में कुशल
दरअसल, सोमवार को ताइवान और भारत के बीच हुए श्रम करार पर एक इंटरव्यू में मंत्री चुन ने कहा था कि उनका मंत्रालय शुरू में पूर्वोत्तर भारत के श्रमिकों की भर्ती पर फोकस करेगा। क्योंकि पूर्वोत्तर भारत में रहने वालों का रंग रूप, उनकी त्वचा और आहार संबंधी आदतें हमसे मिलती जुलती हैं। उन्होंने आगे कहा कि विदेश मंत्रालय के आकलन के अनुसार पूर्वोत्तर भारत के लोग, खासकर ईसाई, निर्माण और खेती में कुशल हैं।
सोशल मीडिया पर कई भारतीयों ने श्रम मंत्री के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे नस्लभेदी टिप्पणी करार दिया। इसके बाद ताइवान के विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में एक माफीनामा जारी किया।
श्रम मंत्री ने अपने बयान पर माफी मांगी
मंगलवार सुबह एक विधायी सुनवाई में श्रम मंत्री ने अपनी गलत टिप्पणियों के लिए खेद व्यक्त किया और स्पष्ट किया कि ताइवान की श्रम नीतियों का लक्ष्य भेदभाव से रहित समानता है, चाहे वह स्थानीय या विदेशी श्रमिकों के लिए हो। उन्होंने किसी भी भेदभावपूर्ण उद्देश्य से खुद को अलग करते हुए भारतीय श्रमिकों की क्षमताओं और प्रदर्शन को उजागर करने के अपने इरादे पर जोर दिया।
डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के विधायक चेन कुआन टिंग ने एक्स पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में श्रम मंत्री के बयान की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि प्रवासी श्रमिकों की भर्ती के लिए त्वचा का रंग और नस्ल मानदंड नहीं होना चाहिए।
सोमवार रात जारी एक बयान में श्रम मंत्रालय ने मंत्री के 'गलत' शब्दों के चयन के लिए माफी मांगी और इस बात पर जोर दिया कि टिप्पणियों का उद्देश्य भेदभाव करना नहीं था।
विदेश मंत्रालय ने कहा- भारत की विविधता का पूरा सम्मान
वहीं, ताइवान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ताइवान भारत की विविध और समृद्ध संस्कृति का पूरा सम्मान करता है और ताइवान और भारत के लोगों के बीच दोस्ती को संजोता है। ताइवान के बीच सहयोग और साझेदारी को और अधिक बढ़ाने के उद्देश्य से यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आपसी समझ को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। मंत्रालय ने आगे उम्मीद जताई कि ताइवान के लोग दुनिया के साथ जुड़ने और भारत-प्रशांत क्षेत्र में भागीदारों के साथ ठोस बातचीत को आगे बढ़ाने के देश के प्रयासों का समर्थन करेंगे।