Transgender population: दुनिया भर में किन्नरों यानी की ट्रांसजेंडर्स को अपने अधिकारों के लिए कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, बीते एक दशक में इस स्थिति में सुधार आया है। दुनिया भर में अब मेडिकल, एविएशन और एजूकेशन समेत अन्य कई सेक्टर्स में आगे निकल रहे हैं।  ऐसे में आइए जानते हैं कि  दुनिया में सबसे ज्यादा ट्रांसजेंडर किस देश में रहते हैं, भारत में कितनी है ट्रांसजेंडर की आबादी। 

जर्मनी और स्वीडन ट्रांसजेंडर पॉपुलेशन के मामले में पहले नंबर पर
Worldpopulation.com के आंकड़ों के मुताबिक,  जर्मनी और स्वीडन दुनिया में सबसे ज़्यादा ट्रांसजेंडर आबादी वाले देश हैं, जहाँ लगभग 3% निवासी ट्रांसजेंडर, जेंडर-फ़्लूइड या नॉनबाइनरी के रूप में जाना जाता है। यह दोनों  देश अपनी कुल आबादी में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अनुपात के मामले में दुनिया भर के देशों की लिस्ट में सबसे ऊपर हैं। साथ ही यह दोनों देश दुनिया में सबसे ज्यादा LGBTQ+ फ्रेंडली देश भी माने जाते हैं। यानि कि इन दोनों देशों में  ट्रांसजेंड़र कम्युनिटी के लोगों के साथ अन्य देशों के मुकाबले सामाजिक स्वीकार्यता सबसे ज्यादा है। 

दुनिया भर में किन्नरों यानी की ट्रांसजेंडर्स को अपने अधिकारों के लिए कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

अमेरिका और ब्राजील दूसरे स्थान पर बराबरी पर
संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्राजील दूसरे सबसे ज़्यादा ट्रांसजेंडर आबादी के लिए बराबरी पर हैं, जिनमें से प्रत्येक में अनुमानित 1 मिलियन ट्रांसजेंडर व्यक्ति हैं। जबकि अमेरिका की कुल आबादी ज्यादा है, ब्राजी की ट्रांसजेंडर आबादी इसकी कुल आबादी का 0.46% है। वहीं, अमेरिका में यह 0.29% है। अमेरिका में भी ट्रांसजेंडर्स के साथ भेदभाव आम है। अमेरिका में 2020 से ही कंजर्वेटिव और राइट विंग एक्टविस्ट ट्रांसजेंडर्स राइट्स को टारगेट करने के लिए नेशनल मूवमेंट चला रहे हैं। इसके बावजूद हेल्थकेयर समेत कई सरकारी सुविधाओं का लाभ ट्रांसजेंडर्स को मिल रहा है। 

संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्राजील दूसरे सबसे ज़्यादा ट्रांसजेंडर आबादी के लिए बराबरी पर हैं

तीसरे नंबर पर है फिलीपींस, चौथे नंबर पर है दक्षिण अफ्रिका
कई अन्य देशों में भी ट्रांसजेंडर की अच्छी खासी आबादी है। दुनिया भर में ट्रांसजेंडर्स की आबादी की बात करें तो इसमें फिलीपींस तीसरे नंबर पर है। फिलीपींस में 2,05,300 लोग यानि की आबादी के 0.17% लोग ट्रांसजेंडर कैटेगरी में आते हैं। दक्षिण अफ्रीका इस लिस्ट में चौथे नंबर पर है। दक्षिण अफ्रीका में 1,79,300 ट्रांसजेंडर हैं यानि कि कुल आबादी क 0.29% लोग ट्रांसजेंडर हैं।

दुनिया भर में ट्रांसजेंडर्स की आबादी की बात करें तो इसमें फिलीपींस तीसरे नंबर पर है।

ट्रांसजेंडर आबादी के मामले में पांचवे नंबर पर है मैक्सिको
ट्रांसजेंडर आबादी के मामले में मैक्सिको पांचवें नंबर है। मैक्सिको में ट्रांसजेडर लोगों की संख्या 1,23,000 है जो कि यहां की कुल आबादी का 0.1% है।इसी प्रकार से  कनाडा इस लिस्ट में छठे नंबर पर है। कनाडा में ट्रांसजेंड की आबादी करीब 75,000 है। यह कनाडा की कुल आबादी का 0.19% है। हालांकि कनाडा में भी ट्रांसजेंडर्स को अपने मौलिक अधिकारों से जुड़े कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 

भारत में कितनी है ट्रांसजेंडर्स की आबादी?
भारत कानूनी तौर पर ट्रांसजेंडर्स को थर्ड जेंडर के तौर पर मान्यता देता है। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि "ट्रांसजेंडर को थर्ड जेंडर के तौर पर मान्यता देना कोई सामाजिक या चिकित्सा मुद्दा नहीं है, बल्कि मानवाधिकार का मुद्दा है। भारत के जनगणना के आंकड़ों से पता चला है कि थर्ड जेंडर की आबादी लगभग 4.9 लाख (490,000) है। यह भारत में थर्ड जेंडर की आबादी की पहली आधिकारिक गणना है।

भारत में थर्ड जेंडर की आबादी का सबसे अधिक अनुपात उत्तर प्रदेश में है।

भारत में थर्ड जेंडर की आबादी का सबसे अधिक अनुपात उत्तर प्रदेश में है, जो कि पुरुष और महिलाओं की आबादी करीब 28% है। थर्ड जेंडर आबादी वाले दूसरे राज्यों में आंध्र प्रदेश (9%), महाराष्ट्र (8%), बिहार (8%), मध्य प्रदेश (6% से अधिक) और पश्चिम बंगाल (6% से अधिक) शामिल हैं।

कितनी है ट्रांसजेंडर्स की सटीक संख्या, यह एक चुनौती? 
यह ध्यान रखना अहम है कि वैश्विक स्तर पर ट्रांसजेंडर आबादी की सटीक संख्या पता करना एक चुनौती बनी हुई है। वैश्विक औसत अनुमान लगभग 2% आबादी है जो ट्रांसजेंडर या नॉनबाइनरी के रूप में पहचाने जाते हैं। यह प्रतिशत अलग-अलग देशों में पूरी तरह से स्पष्ट है है। हालांकि, कुछ देशों में वास्तविक आंकड़े अधिक हो सकते क्योंकि दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जहां पर ट्रांसजेडर आबादी से जुड़ा डेटा सीमित है या फिर उपलब्ध ही नहीं है। 

ट्रांसजेंडर्स को कई चुनौतियों का करना पड़ता है सामना
ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसकी मुख्य वजह संभावित अस्वीकृति, नुकसान और उनकी पहचान को मान्यता नहीं दिए जाने के कारण होने वा तनावा  है। इन चुनौतियों का समाधान करना और ट्रांसजेंडर लोगों के लिए समान अधिकार और सुरक्षा सुनिश्चित करना दुनिया भर के कई देशों के लिए एक अहम मुद्दा बना हुआ है।