Vivek Ramaswamy on Hindutwa::अमेरिका में हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान हिंदू धर्म को लेकर विवाद हुआ। एक व्यक्ति ने हिंदू धर्म को "दुष्ट और मूर्तिपूजक" कहकर निशाना बनाया। इस पर विवेक रामास्वामी ने करारा जवाब दिया। रामास्वामी कहा कि यह धार्मिक असहिष्णुता का एक और उदाहरण है, जहां हर बार हिंदू धर्म को ही निशाना बनाया जाता है।
विवेक रामास्वामी के हिंदुत्व पर दिए गए जवाब ने अमेरिका समेत दुनिया भर में धार्मिक विविधता और सहिष्णुता पर एक नई बहस छेड़ दी है। रामास्वामी ने हिंदू धर्म के खिलाफ सवाल पूछने वालों का जवाब देते हुए हिंदुइज्म (Hinduism) के खिलाफ पूरी दुनिया में फैली असहिष्णुता का मुद्दा उठाया।
Some on the left reject Thomas Jefferson because he was a “slaveholder.” Some on the right reject him because he was a “deist” & “an enemy of Christianity.” Both are foolish. A fun teaching moment tonight. 🇺🇸 pic.twitter.com/kpuXMJhz95
— Vivek Ramaswamy (@VivekGRamaswamy) October 16, 2024
रामास्वामी का बेबाक जवाब
इस विवाद के दौरान, रामास्वामी से पूछा गया कि "क्या हिंदू धर्म अमेरिका के मूल्यों के साथ संगत है?" इस पर रामास्वामी ने बेबाकी से जवाब दिया कि अमेरिका की सुंदरता उसकी विविधता में है। उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म का पालन करना हर नागरिक का अधिकार है। रामास्वामी ने अपने धर्म का बचाव करते हुए कहा कि वह बिना किसी झिझक हिंदू हैं और इसे लेकर गर्व महसूस करते हैं। इस जवाब के साथ उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता के महत्व को भी रेखांकित किया। धार्मिक स्वतंत्रता पर जोर देते हुए रामास्वामी ने कहा कि अमेरिका सभी धर्मों का सम्मान करता है।
अमेरिकी राजनीति में छिड़ी धर्म पर बहस
रामास्वामी के इस जवाब ने अमेरिकी राजनीति और समाज में एक नई बहस को जन्म दिया है। अमेरिका में लंबे समय से गैर-अब्राहमी धर्मों को निशाना बनाया जाता रहा है, खासकर हिंदू धर्म को। बावजूद इसके, रामास्वामी ने शांतिपूर्ण तरीके से अपने धर्म का बचाव किया और इस अवसर को सहिष्णुता का संदेश देने के रूप में इस्तेमाल किया। उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया और मीडिया में बहस तेज हो गई है। (American politics) में यह सवाल अब जोर पकड़ रहा है कि क्या एक गैर-ईसाई नेता अमेरिका का नेतृत्व कर सकता है?
थॉमस जेफरसन का उदाहरण
रामास्वामी ने इस बहस के दौरान थॉमस जेफरसन का उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति, जो ईसाई धर्म के परंपरागत अनुयायी नहीं थे, उन्होंने डिक्लेरेशन ऑफ इंडिपेंडेंस (Declaration of Independence) जैसे ऐतिहासिक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे। रामास्वामी ने सवाल किया कि अगर थॉमस जेफरसन अमेरिका का नेतृत्व कर सकते थे, तो क्यों एक हिंदू अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं बन सकता?
अमेरिका में हिंदुओं पर बढ़ता हमला
अमेरिका में हिंदू धर्म पर बार-बार हो रहे हमले से यह सवाल उठता है कि हर बार हिंदू धर्म को ही निशाना क्यों बनाया जाता है? रामास्वामी ने साफ तौर पर कहा कि दुनिया भर में हिंदू धर्म की सहिष्णुता को गलत समझा जाता है। चाहे भारत हो या अमेरिका, हिंदुओं को टारगेट किया जाना एक वैश्विक मुद्दा बन चुका है।
धर्म से आगे बढ़कर नेतृत्व
रामास्वामी ने यह भी कहा कि अमेरिका जैसे देश में नेतृत्व की योग्यता धर्म से नहीं, बल्कि संविधान और देश के प्रति निष्ठा से तय होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका का संविधान सबके लिए समान अवसर प्रदान करता है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। रामास्वामी के इस दृष्टिकोण ने कट्टरपंथियों को एक मजबूत संदेश दिया है कि देश का नेतृत्व धर्म नहीं, बल्कि विचारधारा और नीतियों पर आधारित होना चाहिए।