Strikes in Yemen: लाल सागर में वाणिज्यिक जहाजों को लगातार निशाना बना रहे हूती विद्रोहियों को मुंहतोड़ जवाब मिल रहा है। शनिवार, 3 फरवरी की रात अमेरिकी सेंट्रल कमांड बलों ने यूके समेत 6 अन्य देशों की सेनाओं के साथ मिलकर यमन में ईरान समर्थित हूती आतंकवादियों के 13 ठिकानों पर 36 हवाई हमले किए। इस हमले में हूतियों के कई अंडरग्राउंड हथियार भंडारगृहों, कमांड और कंट्रोल सेंटर, मिसाइल सिस्टम, यूएवी भंडारण और संचालन स्थल, रडार और हेलीकॉप्टर को निशना बनाया गया।
इस हमले में अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा, डेनमार्क, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड की सेनाओं ने संयुक्त रूप से ऑपरेशन किया। यह हमला ईराक और सीरिया पर हवाई हमले के ठीक एक दिन बाद हुआ। अमेरिका ने एक हफ्ते पहले जॉर्डन पर हुए ड्रोन हमले में मारे गए तीन अमेरिकी सैनिकों की मौत का बदला लिया था। हमले में 18 लड़ाके मार गिराए थे।
क्या है हमले का उद्देश्य?
यूएस सेंट्रल कमांड (CENTCOM) ने कहा कि टारगेट हमलों का उद्देश्य हूती आतंकवादियों के ठिकानों को बर्बाद करना था, जिनका इस्तेमाल वे वैश्विक व्यापार और निर्दोष नाविकों के जीवन को खतरे में डालने के लिए करते हैं।
अमेरिकी सेना ने शनिवार को सबसे पहले 6 हूती एंटी-शिप मिसाइलों के खिलाफ अलग से हमले किए। ये मिसाइल लाल सागर में जहाजों के खिलाफ लॉन्च करने के लिए तैयार थे। इससे पहले शुक्रवार को अमेरिकी सेना ने यमन के पास आठ ड्रोनों को मार गिराया। लॉन्च होने से पहले ही चार अन्य को नष्ट कर दिया।
CENTCOM ने कहा कि जमीन पर गिरे चार ड्रोन हूती आतंकवादियों के थे, लेकिन उन्होंने उन ड्रोनों से जुड़े किसी देश या समूह की पहचान नहीं की, जिन्हें हवा से मार गिराया गया था।
नवंबर से हूती आतंकवादी जहाजों को बना रहे निशाना
हूती आतंकवादियों ने पिछले साल नवंबर में लाल सागर में वाणिज्यिक जहाजों को निशाना बनाना शुरू किया था। उन्होंने दावा किया था कि इजराइल-हमास युद्ध में फिलिस्तीनियों के समर्थन में इजरायल से जुड़े जहाजों को मार रहे हैं। अमेरिकी और ब्रिटिश सेनाओं ने हूतियों के खिलाफ हमलों का जवाब दिया है। हूती आतंकवादियों और उनके ठिकानों पर हमले करने के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका ने वाणिज्यिक जहाजों और मार्ग की रक्षा करने के लिए एक बहुराष्ट्रीय नौसैनिक टास्क फोर्स की स्थापना की है।
इजराइल-हमास जंग का असर इन देशों पर
इजराइल ने पिछले साल 7 अक्टूबर को हुए हमास के हमले के बाद गाजा पर कहर बरपाया है। इससे पूरे मध्य पूर्व में तनाव बढ़ गया है। लेबनान, इराक, सीरिया और यमन में ईरान समर्थित समूहों में हिंसा भड़क गई है। 28 जनवरी को एक ड्रोन जॉर्डन के एक अड्डे से टकराया, जिसमें तीन अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई और 40 से अधिक घायल हो गए। इस हमले के लिए वाशिंगटन ने ईरान समर्थित बलों को जिम्मेदार ठहराया।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने शुक्रवार को इराक और सीरिया में तेहरान से जुड़ी सात जगहों पर दर्जनों हमलों के साथ जवाबी कार्रवाई की गई, लेकिन ईरानी क्षेत्र पर हमला नहीं किया।