Odysseus Spacecraft Moon Landing: अमेरिका 50 साल बाद एक बार फिर चंद्रमा पर पहुंचा है। ह्यूस्टन स्थित एक प्राइवेट कंपनी इंटुएटिव मशीन्स ने अपने रोबोटिक स्पेसक्राफ्ट लैंडर ओडिसियस की चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंडिंग कराई है। नासा (NASA) के मुताबिक, भारतीय समय के अनुसार 4 बजकर 53 मिनट पर इसकी लैंडिंग हुई। ओडिसियस चंद्रमा पर लैंड करने वाला किसी प्राइवेट कंपनी का पहला स्पेसक्राफ्ट है। इसी के साथ अमेरिका साउथ पोल पर पहुंचने वाला दूसरा देश बन गया है। 23 अगस्त, 2023 को भारत के चंद्रयान 3 की साउथ पोल पर सफल लैंडिंग हुई थी।
यह मिशन नासा द्वारा वित्त पोषित है। इसका उद्देश्य दशक के अंत में अंतरिक्ष यात्री मिशनों के लिए मार्ग प्रशस्त करना है। यह मिशन चंद्रमा पर 7 दिनों तक एक्टिव रहेगा। चंद्रमा पर अमेरिका 1972 में पहली बार पहुंचा था। पहला मिशन अपोलो 17 था। लेकिन साउथ पोल पर पहली बार पहुंचा है।
Today, for the first time in half a century, America has returned to the Moon 🇺🇸.
— Bill Nelson (@SenBillNelson) February 23, 2024
On the eighth day of a quarter-million-mile voyage, @Int_Machines aced the landing of a lifetime.
What a feat for IM, @SpaceX & @NASA.
What a triumph for humanity.
Odysseus has taken the Moon. pic.twitter.com/JwtCQmMS2K
क्यों करना पड़ा लैंडिंग के समय में बदलाव?
भारतीय समयानुसार ओडिसियस की लैंडिंग पहले सुबह 4 बजकर 20 मिनट पर होनी थी। लेकिन लैंडिंग से पहले नेविगेशन सिस्टम में कुछ खराबी आ गई। नासा के अनुसार, स्पेसक्राफ्ट की स्पीड काफी बढ़ी थी। इसलिए ओडिसियस ने चंद्रमा का एक अतिरिक्त चक्कर लगाया। एक चक्कर बढ़ने की वजह से इसकी लैंडिंग टाइम में बदलाव हो गया।
6 पैरों वाला एक रोबोट लैंडर ओडिसियस
ओडिसियस 6 पैरों वाला एक रोबोट लैंडर है। इसका आकार षटकोण है। यह 4,000 मील (6,500 किलोमीटर) प्रति घंटे की गति से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास पहुंचा।
कंपनी के मुख्य टेक्नोलॉजी अफसर टिम क्रैन ने कहा कि बिना किसी संदेह के हमारा उपकरण चंद्रमा की सतह पर है। हमारा कम्युनिकेशन स्थापित हो गया है।। टीम को बधाई। अब हम देखेंगे कि हम इससे कितनी अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
क्या काम करेगा लैंडर?
नासा के वरिष्ठ अधिकारी जोएल किर्न्स ने कहा कि भविष्य में हम चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजेंगे। उससे पहले वहां के पर्यावरणीय स्थितियों और जलवायु को देखने में ओडिसियस अहम भूमिका निभाएगा। जैसे वहां किस प्रकार की धूल या गंदगी है, यह कितना गर्म या ठंडा होता है, विकिरण वातावरण क्या है? ये सभी चीजें हैं जिन्हें आप पहले इंसानों को भेजने से पहले वास्तव में जानना चाहेंगे।
मेलापार्ट के पास हुई लैंडिंग
ओडिसियस को 15 फरवरी को स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया था। इसकी लैंडिंग साइट मेलापर्ट ए, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से 300 किलोमीटर (180 मील) दूर हुई है। यह एक खाई के करीब समतल जगह है। मेलापार्ट 17वीं सदी के बेल्जियन एस्ट्रोनॉमर थे। माना जा रहा है कि यहां पानी मौजूद है, लेकिन वो बर्फ के रूप में है।
ओडीसियस पर कैमरे लगे हैं। उनमें यह जांचने की क्षमता है कि स्पेसक्राफ्ट के इंजन प्लम के परिणामस्वरूप चंद्रमा की सतह कैसे बदलती है। साथ ही सौर विकिरण के परिणामस्वरूप गोधूलि के समय सतह पर लटके आवेशित धूल कणों के बादलों का विश्लेषण करने के लिए एक उपकरण भी लगा है।
इसमें एक नासा लैंडिंग सिस्टम भी है, जो लेजर पल्स फायर करता है। वह सिग्नल को वापस आने में लगने वाले समय और इसकी आवृत्ति में परिवर्तन को मापने के लिए अंतरिक्ष यान के वेग और सतह से दूरी का सटीक आकलन करता है, ताकि किसी विनाशकारी प्रभाव से बचा जा सके।