US State Department: एक बार फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के बैंक अकाउंट को फ्रीज किए जाने का मुद्दा अमेरिका के सामने उठाया। हालांकि इस बार अमेरिका के दोहरे मापदंड को लेकर सवाल था। बचाव करते हुए अमेरिका ने कहा कि वह पाकिस्तान में भी मानवाधिकारों का सम्मान होते हुए देखना चाहते हैं। खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू पर भी अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है।
पाकिस्तान में कई राजनीतिक कैदी
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्त मैथ्यू मिलर ने डेली ब्रीफिंग कर रहे थे। इस दौरान उनसे सवाल पूछा गया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और कांग्रेस के बैंक खातों को जब्त करने पर संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपनी बात मजबूती से रखी, लेकिन पाकिस्तान में तमाम राजनीतिक व्यक्ति हैं, जिन्हें जेल में कैद किया गया है। इस पर अमेरिका चुप क्यों है?
मैथ्यू मिलर ने जवाब में कहा, 'मैं उस चरित्र-चित्रण से सहमत नहीं हूं। हमने कई मौकों पर यह स्पष्ट किया कि हम पाकिस्तान में हर किसी के साथ कानून के शासन के अनुरूप व्यवहार करते हुए मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए देखना चाहते हैं।
इशारों में उठाया इमरान खान की कैद का मुद्दा
सवाल पूछे जाने के दौरान जर्नलिस्ट ने पाकिस्तान के किसी राजनीतिक कैदी का नाम नहीं लिया था, हालांकि उसका साफ इशारा पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को लेकर था। इमरान खान बीते साल सितंबर से जेल में हैं। रावलपिंडी की आदियाला जेल में इमरान खान को पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ रखा गया है। इमरान की पत्नी बुशरा बीवी भी जेल में हैं। एक दिन पहले इमरान खान ने बुशरा को जेल में जहर दिए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यदि बुशरा को कुछ हुआ तो इसके जिम्मेदार सेना प्रमुख असीम मुनीर होंगे।
पन्नू की हत्या की साजिश की चल रही जांच
वहीं, मैथ्यू मिलर के सामने भारत द्वारा नामित खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नुन की हत्या की साजिश का मामला उठा। इस पर मिलर ने कहा कि हमने भारत सरकार को स्पष्ट कर दिया है कि हम उन्हें पूरी जांच करते देखना चाहते हैं। हम जांच के परिणामों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। दरअसल, अमेरिका ने आरोप लगाया था कि पन्नू की हत्या की साजिश रची गई थी। इसमें एक सरकारी कर्मचारी शामिल है।
21 मार्च को गिरफ्तार हुए थे अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाला केस में 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद जर्मनी और फिर अमेरिका ने यह मुद्दा उठाया था। अमेरिका ने कहा था कि वह निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानून प्रक्रियाओं को अंजाम तक पहुंचाने का समर्थन करता है। उसे नहीं लगता कि इस पर किसी को आपत्ति होनी चाहिए। इसके बाद भारत दोनों देशों के राजनयिकों को तलब कर आपत्ति दर्ज कराई थी और अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को घरेलू मामला बताया था।