Taiwan Parliament Violence Controversy: भारत देश की संसद में हंगामा, नारेबाजी, मारपीट की तस्वीरें खूब देखी होंगी, लेकिन क्या ऐसा ही घमासान अन्य मुल्कों में भी होता है? तो जवाब हां है। इसका ताजा उदाहरण ताइवान बना है। ताइवान में नए राष्ट्रपति लाई चिंग ते की शपथ से ठीक 2 दिन पहले संसद में शुक्रवार, 17 मई को जमकर बवाल हुआ। पूरी संसद जंग का अखाड़ा बन गई। सांसदों के बीच जमकर धक्का मुक्की हुई। लात-घूंसे भी चले।
सोशल मीडिया पर संसद में मारपीट के कई वीडियो सामने आए हैं। कुछ सांसद स्पीकर की सीट पर भी चढ़ गए। वे एक-दूसरे को खींचकर मारपीट करते नजर आए। इस बीच एक सांसद एक बिल से जुड़े दस्तावेज लेकर सदन से रफूचक्कर हो गया।
क्यों सांसदों के बीच भड़का गुस्सा?
दरअसल, ताइवान की संसद में एक प्रस्ताव लाया गया है। इसके तहत सरकार के कामकाज पर निगरानी के लिए विपक्षी सांसदों को अधिक शक्ति देने की बात कही गई है। इसके अलावा संसद में गलत या झूठा बयान देने पर सरकारी आपराधिक मामला दर्ज होगा।
फोकस ताइवान की रिपोर्ट के अनुसार, इसी बिल पर वोटिंग होनी थी। लेकिन वोटिंग ठीक पहले नए राष्ट्रपति चिंग ते की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) और चीन समर्थक विपक्ष की कुमेन्तांग (KMT) पार्टी के लोगों के बीच विवाद हो गया। जब सांसद सदन में पहुंचे तो वे एक-दूसरे पर मारपीट करने का आरोप लगाने लगे। तभी डीपीपी सदस्य कुओ कुओ-वेन ने बिल के दस्तावेज छीन लिए और कार्यवाही बाधित करने के उद्देश्य से संसद से भाग गए। मारपीट में कई सांसद घायल हुए। जिन्हें अस्पताल ले जाया गया।
21 मई तक के लिए बिल की समीक्षा पर रोक
दिन भर चले हंगामे के बाद विवादास्पद संसदीय सुधार विधेयकों की समीक्षा 21 मई तक के लिए रोक दी गई। डीपीपी ने केएमटी और टीपीपी पर बिना चर्चा के प्रस्तावों को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया और इसे सत्ता का असंवैधानिक दुरुपयोग बताया।डीपीपी विधायक वांग मेई-हुई ने कहा कि हम इस बिल का विरोध करते हैं। क्योंकि हम चर्चा चाहते हैं, एकतरफा फैसले नहीं। केएमटी की जेसिका चेन ने कहा कि सुधारों का उद्देश्य कार्यकारी शाखा की विधायी निगरानी को बढ़ाना है। डीपीपी सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखना चाहती है।
राष्ट्रपति लाई चिंग ते की पार्टी के पास बहुमत नहीं
20 मई, सोमवार को ताइवान के नए राष्ट्रपति लाई चिंग ते अपने पद एवं गोपनीयता की शपथ लेने वाले हैं। लेकिन पार्टी DPP के पास संसद में बहुमत नहीं है। ताइवान की मुख्य विपक्षी पार्टी KMT के पास DPP से ज्यादा सीटें हैं। फिर भी बहुमत में आने के लिए उसे ताइवान पीपुल्स पार्टी (TPP) के साथ गठबंधन करना पड़ेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, बहुमत में होने की वजह से विपक्षी पार्टी संसद में अपने सदस्यों को सरकार के ऊपर नजर बनाए रखने के लिए और ज्यादा पावर दिलवाना चाहती है। उधर, चिंग ते की पार्टी DPP का आरोप लगा रही है कि विपक्ष संसद में जबरदस्ती बिल पास करवाना चाहता है।
जनवरी में लाई चिंग ते ने जीता था चुनाव
ताइवान में इसी साल जनवरी में राष्ट्रपति पद के चुनाव हुए थे। रूलिंग पार्टी के नेता विलियम लाई चिंग ते ने जीत हासिल की थी। विलियम वही नेता हैं, जिन्हें मतदान से पहले चीन ने खतरनाक अलगाववादी कहा था। चीन मतदाताओं को चेतावनी भी दी थी कि यदि वे सैन्य संघर्ष से बचना चाहते हैं तो सही विकल्प चुनें। वहीं, चिंग ते के खिलाफ KMT ने होउ यू इह को चुनाव लड़ाया था। KMT वही पार्टी है, जिसकी सरकार चीन के कम्युनिस्टों से गृह युद्ध में हार गई थी और ताइवान द्वीप पर आ बसी थी। पार्टी ने कहा था कि अगर वह चुनाव जीती तो चीन से दोबारा बातचीत शुरू करेगी।
2020 में संसद में फेंके गए थे पिग गट्स
ताइवान की संसद में यह पहला मौका नहीं है, जब मारपीट या बवाल देखने को मिला। साल 2020 में भी KMT के सांसदों ने अमेरिका से पोर्क (सुअर का मांस) इम्पोर्ट करने का विरोध करते हुए संसद में पिग गट्स (सुअर की आंत) फेंकी थी।