Ayodhya Ram Temple Consecration Ceremony: अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर बने भव्य राम मंदिर का सोमवार को उद्घाटन हो रहा है। आज नए मंदिर में भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा भी होगी। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत देशभर से विशिष्ट अतिथि समारोह में हिस्सा लेंगे। राम मंदिर के उद्घाटन की चर्चा देश-दुनिया में है। दुनियाभर के प्रमुख मीडिया ने राम मंदिर को लेकर ग्राउंड रिपोर्ट्स और आर्टिकल पब्लिश किए हैं। इनमें चुनावों में भाजपा को फायदा, साम्प्रदायिकता, राम मंदिर-बाबरी मस्जिद के इतिहास और देश में मुस्लिम आबादी की सुरक्षा का जिक्र है। आइए, जानते हैं वर्ल्ड मीडिया से राम मंदिर पर क्या प्रतिक्रिया आई... 

1) BBC- बाबरी की जगह राम मंदिर बनने से भाजपा को फायदा
ब्रिटिश बॉडकास्टिंग कंपनी यानी बीबीसी ने राम मंदिर के उद्घाटन की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित किया है। बीबीसी ने अयोध्या से अपनी ग्राउंट रिपोर्ट्स में श्रीराम जन्मभूमि को विवादित स्थल बताते हुए लिखा है कि भारतीय प्रधानमंत्री ढहाई गई बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर का उद्घाटन करेंगे। कुछ हिंदु साधु-संत और ज्यादातर विपक्षी दल इस समारोह से खुद को अलग कर चुके हैं। उनका कहना है कि इससे मोदी को लोकसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ मिलेगा। देश में 80 फीसदी मतदाता हिंदु हैं और बीजेपी राम मंदिर के नाम पर वोट मांगेगी। ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर ने एक अन्य रिपोर्ट में अयोध्या के स्थानीय मुस्लिमों में राम मंदिर उद्घाटन के मौके पर समुदाय की सुरक्षा की चिंता जिक्र किया है। यह बताया कि कई मुस्लिम परिवारों ने अपने बच्चों को शहर से बाहर भेज दिया है।

बीबीसी की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट।

2) The Wall Street Journal-क्या मंदिर भारत को विभाजित करेगा?
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) ने अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन को भारत की धर्मनिरपेक्ष नीति और आम चुनावों से जोड़कर पेश किया है। एक आर्टिकल में अखबार ने लिखा- उत्तरी भारत में विवादित भूमि पर एक हिंदू पूजा स्थल का उदय भारत के पहले प्रधानमंत्री द्वारा समर्थित बहुलवाद का प्रतीक है। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राम मंदिर के उद्घाटन को एक प्रकार से चुनाव प्रचार अभियान के तौर पर देखा जा रहा है। जो कि देश में रहने वाले करोड़ों हिन्दुओं का सालों पुराना सपना पूरा करेगा। मोदी और भारतीय जनता पार्टी एक और कार्यकाल में वापसी के लिए तैयार है। यह मंदिर समारोह भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा समर्थित धर्मनिरपेक्षता के ब्रांड का एक प्रतीक भी है। इसके अलावा अमेरिकी अखबार ने नेहरू की धर्मनिरपेक्ष नीति, सांप्रदायिकता, धार्मिक संघर्षों का भी जिक्र किया है। सवाल उठाया- क्या मोदी का नया मंदिर हिंदुओं को एकजुट करेगा, लेकिन भारत को विभाजित करेगा?

वॉल स्ट्रीट जर्नल की वेबसाइट का स्क्रीनशॉट।

3) DAWN- पाकिस्तान, कड़ी सुरक्षा में भी हिंसा का डर
मुस्लिम बाहुल्य पाकिस्तान की मीडिया में राम मंदिर के उद्घाटन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कई आर्टिकल-रिपोर्ट्स पब्लिश हुई हैं। पाकिस्तान के प्रमुख अखबार DAWN ने बाबरी मस्जिद के वजूद को प्रमुखता से उजागर किया है। इसके अलावा राम मंदिर के उद्घाटन से विपक्षी दलों और कुछ संतों के खुद को अलग रखने को लेकर धर्म के नाम पर एकजुटता पर कटाक्ष किया है। देश के राजनीतिक परिदृश्य को लेकर लिखा- राम मंदिर से भाजपा ने विपक्ष को साफ संदेश दिया है कि अपनी विचार धारा को धर्मनिपरेक्ष से धार्मिक में बदल लीजिए नहीं तो आपको हिंदु विरोधा करार देकर देश की जनता 2024 में बाबर का रास्ता दिखा देगी। साथ ही अयोध्या में कड़ी सुरक्षा के बीच मुस्लिम आबादी की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाया है। अखबार ने लिखा- नए भारत में धार्मिक साम्प्रदायिकता को अब घृणा के रूप में नहीं देखा जाता है। राम मंदिर के आसपास के 4 किलोमीटर दायरे में 5000 से ज्यादा मुस्लिम रहते हैं और अयोध्या में इनकी कुल आबादी 25 लाख के आसपास है।

डॉन अखबार की वेबसाइट का स्क्रीनशॉट।