Chankya Niti for Frienship: आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में अच्छे और बुरे मित्रों के बारे में स्पष्ट रूप से बताया है। उनका कहना था कि, हर व्यक्ति के जीवन में कुछ ऐसे मित्र होते है, जो जरुरत के समय में साथ छोड़ देते है और कुछ ऐसे होते है, जो जरुरत में हर वक्त साथ खड़े होते हैं। हर व्यक्ति को जीवन में कुछ ऐसे लोग मिलते है, जिनसे कभी मित्रता हो जाती है और कभी दुश्मनी। ऐसी स्तिथि से निपटने के लिए क्या कहती है चाणक्य नीति?
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में मित्रता को लेकर लोगों का मार्ग प्रशस्त किया है। यदि हर व्यक्ति उनकी नीचे दी गई बातों पर अमल करें तो वह सरलता से अपने जीवन को पार कर सकता है। चलिए जानते है उन 3 बातों के बारे में जिन्हें मित्रता के संदर्भ में चाणक्य नीति में लिखा गया है -
मूर्ख व्यक्ति को मित्र न बनाएं
आचार्य चाणक्य ने मूर्ख व्यक्ति को पशु समान करार दिया है। उनका कहना था कि, जिन लोगों में बुद्धि और विवेक नहीं है वह पशु जैसा होता है। ऐसे लोगों की संगत में बैठने वाला व्यक्ति हमेशा जीवन में कठिनाइयों से घिरा रहता है। इसलिए मूर्ख मित्र से बेहतर होता है एक बुद्धिमान शत्रु।
अहंकारी व्यक्ति से मित्रता न करें
चाणक्य नीति कहती है कि, जो व्यक्ति में अहंकार में डूबा हुआ है और स्वयं को ज्ञानी मानता हो, उसकी मित्रता खतरनाक हो सकती है। इस तरह के लोग बिल्ली के समान होते है। ऐसे लोगों का भरोसा नहीं करना चाहिए। इस तरह के लोग खुद को बड़ा दिखाने के लिए आपकी छवि नष्ट कर सकते हैं।
लोभी प्रवृत्ति लोगों से रहें दूर
चाणक्य नीति कहती है कि, हमेशा ऐसे लोगों का साथ देना चाहिए जो आपके समान हो। खुद से कमजोर और लोभी व्यक्ति का साथ नहीं रखना चाहिए। दरअसल, लोभी व्यक्ति कभी भी आपका साथ बीच मंझधार में छोड़ सकता है। साथ ही विरोधियों संग मिलकर आपको क्षति भी पहुंचा सकता हैं।