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Nag Panchami Par Doodh Chadhana Chahiye Ya Nahi: सनातन धर्म में नागपंचमी के पर्व को विशेष महत्त्व दिया गया है। सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती के साथ नाग देवता की भी पूजा का विधान है।

Nag Panchami Par Doodh Chadhana Chahiye Ya Nahi: सनातन धर्म में नागपंचमी के पर्व को विशेष महत्त्व दिया गया है। सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती के साथ नाग देवता की भी पूजा का विधान है। नागपंचमी के दिन नाग देव की पूजा करने से व्यक्ति को उनकी कृपा से हर कष्ट से सुरक्षित रहने का आशीर्वाद मिलता है। परंपरागत रूप से नागपंचमी के दिन सांपो को दूध चढ़ाने का विधान रहा है। लेकिन आधुनिक समय में इस प्रथा को लेकर कई तरह के विवाद और वैज्ञानिक चिंताएं उभरकर सामने आई है। चलिए जानते है इस बारे में। 

नाग पंचमी पर सांपों को दूध चढ़ाने की परंपरा
(Nag Panchami Par Doodh Chadhane Ki Parampara) 

हिंदू धर्म में नागपंचमी पर साँपों को दूध चढ़ाने की परंपरा कई सदियों से चली आ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नाग देव भोलेनाथ के आभूषण के तौर पर उनके गले में विराजित रहते है। उन्हीं नाग देव के प्रति श्रद्धा भाव प्रकट करने के लिए नाग पंचमी पर उन्हें दूध चढ़ाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा और उन्हें दूध चढ़ाने का उद्देश्य खेतों में नागों से सुरक्षा की कामना करना है। दरअसल, नाग देवता को कृषि का रक्षक भी माना गया है। 

नाग पंचमी पर सांपों को दूध चढ़ाने का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
(Nag Panchami Par Doodh Chadhane Ka Vaigyanik Karan) 

वैज्ञानिकों का मानना है कि सांपो को दूध चढ़ाने से उन्हें हानि पहुंच सकती है। वैज्ञानिक बताते है कि सांपों का पाचन तंत्र दूध को पचाने में सक्षम नहीं होता है। ऐसा करने से उन्हें कई तरह की हेल्थ समस्याएं हो सकती है। विज्ञान के मुताबिक साँपों द्वारा दूध पीने से उन्हें संक्रमण, डायरिया और अन्य गंभीर बीमारियां होने का खतरा रहता है। ये बीमारियां सांप की मौत की वजह भी बन सकती है। वन्यजीव संरक्षण संगठन इस प्रथा को खत्म करने की अपील भी कर चुके है। 

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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