Nag Panchami Par Gudiya kyo Piti jati hai : हिंदू धर्म में न सिर्फ देवी-देवता, जीव-जंतु बल्कि पेड़-पौधों की भी पूजा करने का विधान है। इसी क्रम में सांपों की पूजा भी शामिल है, जोकि सावन महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को की जाती है। इस दिन को हम नागपंचमी के नाम से भी जानते है। सावन का महीना भगवान भोलेनाथ, उनके गणों और उनके भक्तों को समर्पित है। नागों को भी भोलेबाबा के गणों में शुमार किया जाता है, इसलिए ये भी पूज्यनीय है। नागपंचमी के दिन नागों की पूजा करने के साथ-साथ देश के कई हिस्सों में गुड़िया मनाने और उसे पीटने का भी विधान है। जानते है इसका साँपों से संबंध -
नागपंचमी पर गुड़िया क्यों पीटी जाती है?
(Nag Panchami Par Gudiya kyo Piti jati hai)
सनातन धर्म में नागपंचमी के दिन प्रतीकात्मक लड़की के रूप में गुड़िया पीटने का विधान है। यह गुड़िया घर-परिवार की मां-बहनों द्वारा कपड़े से निर्मित होती है। इसे बनाने के बाद नागपंचमी के दिन किसी मंदिर तालाब या उस स्थान पर रख दिया जाता है, जहां इसे पीटने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसके पश्चात परिवार के लड़के ही उस गुड़िया को डंडे से पीटते यही। इस पूरे विधान के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। चलिए जानते है उसके बारे में -
नागपंचमी पर गुड़िया पीटने की कहानी
(Nag Panchami Par Gudiya Peetne Ki Kahani)
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक महादेव नाम का लड़का था। वह लड़का नाग देवता का बहुत बड़ा भक्त था। वह प्रतिदिन सुबह शिव मंदिर जाता और भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ नाग देवता की भी पूजा करता। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर नाग देवता उसे हर दिन दर्शन दिया करते थे। इसी क्रम में कई बार नाग देवता अपनी प्रसन्नता जाहिर करने के लिए उसके शरीर से लिपट जाया करते थे। लेकिन ऐसा कर वह उस लड़के को कष्ट नहीं देते थे।
लड़का महादेव इस पूरे क्रम से अच्छी तरह परिचित था। लेकिन एक दिन जब वह पूजा में ध्यान लगाकर बैठा था तो नाग देव उसके पैरों में लिपट गए। इसी दौरान लड़के की बहन मंदिर में आ गई और उसने नाग को भाई के पैरों पर लिपटा देखा तो उसे अनहोनी का भय लगा। इसी घबराहट में उसने एक डंडे से नाग को पीट-पीट कर मौत दे दी। इसके कुछ समय पश्चात जब लड़का महादेव पूजा से उठा तो उसने नाग को मृत पाया, तो उसने अपनी बहन से पूछा।
बहन के द्वारा नाग देव को मारे जाने का वृतांत सुनकर लड़का महादेव क्रोध से आगबबूला हो गया। इस क्रोध में उसने अपनी बहन से कहा 'तुमने नाग देवता को पीट-पीट कर मार दिया है। इसलिए तुम्हें भी इसकी सजा मिलेगी। कहते है इसी के बाद से नागपंचमी के दिन प्रतीकात्मक लड़की के रूप में गुड़िया पीटने की परंपरा चली आ रही है।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।