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Somvati Amavasya 2024: भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष अमावस्या इस बार सोमवार को पड़ रही है। इसलिए इसे 'सोमवती अमावस्या' के नाम से जाना जाएगा। सोमवती अमावस्या के दिन दो शुभ योग बन रहे है, इनमें पहला सोमवार का और दूसरा अमावस्या का।

Somvati Amavasya 2024: भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष अमावस्या इस बार सोमवार को पड़ रही है। इसलिए इसे 'सोमवती अमावस्या' के नाम से जाना जाएगा। सोमवती अमावस्या के दिन दो शुभ योग बन रहे है, इनमें पहला सोमवार का और दूसरा अमावस्या का। इस दिन की जाने वाली पूजा का विशेष फल साधकों को प्राप्त होता है। इस वर्ष 2 सितंबर 2024 को सोमवती अमावस्या व्रत रखा जाएगा। जानते है सोमवती अमावस्या की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त। 

सोमवती अमावस्या व्रत व पूजा विधि 
(Somvati Amavasya Vrat Puja Vidhi)

अमावस्या के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लेवें और गणपति जी को प्रणाम करें। अब भगवान का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें। इसके पश्चात भगवान को चंदन, अक्षत और पुष्प अर्पित करें। घर के मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें। पूजा में फल, फूल और मिठाई का भोग चढ़ाएं। इसके पश्चात महिला साधकों को व्रत कथा सुननी और सुनानी चाहिए। अंत में आरती करें और भूल के लिए क्षमा याचना करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या का व्रत रखने से साधक महिला के पति की आयु लंबी होती है। साथ ही परिवार में खुशहाली आती है। 

सोमवती अमावस्या पूजा का शुभ मुहूर्त 
(Somvati Amavasya Puja Shubh Muhurat) 

  • ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 04:29 से सुबह 05:14 तक। 
  • प्रातः संध्या : सुबह 04:51 से सुबह 05:59 तक। 
  • अभिजित मुहूर्त : सुबह 11:56 से दोपहर 12:47 तक। 
  • विजय मुहूर्त : दोपहर 02:29 से दोपहर 03:19 तक। 
  • गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:43 से शाम 07:06 तक। 
  • सायाह्न सन्ध्या : शाम 06:43 से शाम 07:51 तक। 
  • अमृत काल : दोपहर 12:48 से दोपहर 02:31 तक। 
  • निशिता मुहूर्त : रात्रि 11:59 से अगले दिन सुबह 12:44 तक। 

सोमवती अमावस्या व्रत का महत्व
(Somvati Amavasya Vrat Mahatav)

ज्योतिष के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन महिलाओं को पीपल वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। महिलायें अपने पति की दीर्घायु की मंगल कामना कर ही पीपल वृक्ष की पूजा करें। इसके पश्चात वृक्ष के चारों तरफ परिक्रमा करें। हिंदू धर्म में पीपल के वृक्ष में भगवान श्री हरि का वास होता है। इसलिए पीपल के वृक्ष के चारों ओर 108 बार फेरी लगाकर उसकी पूजा करने और कच्चे सूत का धागा वृक्ष के चारों ओर लपेटने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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