Surya Chalisa Benefits: ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को ग्रहों का राजा बताया गया है। सूर्यदेव को मान-सम्मान, प्रतिष्ठा, आत्मविश्वास, सरकारी नौकरी और पिता का कारक ग्रह कहा जाता है। इसलिए किसी भी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य देव की स्तिथि बेहद मजबूत होना आवश्यक है। यदि ऐसा होता है तो उस व्यक्ति को संबंधित क्षेत्रों में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते है। ज्योतिष शास्त्र कहता है कि कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर होना असफलता दिखाता है।
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार कुंडली में सूर्य की स्थिति बेहतर होने पर जातक के अपने पिता और कार्यक्षेत्र में अधिकारियों के साथ अच्छे संबंध स्थापित होते है। लेकिन यदि उसकी कुंडली में सूर्य की स्तिथि कमजोर है, तो उसे जीवन में असफलता का सामना करना होता है। इसलिए सूर्य देव को प्रसन्न रखना चाहिए।
सूर्य चालीसा का पाठ करें
(Surya Chalisa Paath Kare)
कहते है कि जिस भी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह की स्तिथि कमजोर है, उसे मान-सम्मान, प्रतिष्ठा, आत्मविश्वास, सरकारी नौकरी और पिता की तरफ से तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस स्तिथि को मजबूत करने के लिए जातकों को सुबह स्नान के बाद सूर्य चालीसा का पाठ करना चाहिए। कहते है ऐसा करने से सूर्य देव प्रसन्न होते है और व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते है।
सूर्य चालीसा पाठ करने की विधि
(Surya Chalisa Paath Vidhi)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य चालीसा के पाठ की शुरुआत रविवार के दिन से ही करनी चाहिए। इसके लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर सूर्य देव को जल अर्पित करें। साथ ही, सूर्य चालीसा का पाठ करें और आखिर में सूर्य देव को प्रणाम करें। इसके पश्चात हाथ जोड़कर उनसे आशीर्वाद की मांग करें।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।