Tilak Chawal Mahatv: सनातन धर्म में कोई भी मांगलिक अथवा धार्मिक कार्य में माथे पर तिलक के साथ अक्षत लगाने की परंपरा निभाई जाती है। अक्षत को हम चावल के नाम से भी जानते है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि तिलक के साथ अक्षत लगाने के पीछे का उद्देश्य क्या हैं? यदि नहीं तो हम आपको इस लेख के माध्यम से तिलक के साथ अक्षत लगाने का अर्थ और इसके महत्त्व के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। चलिए जानते है तिलक-अक्षत का महत्त्व -
- सनातन धर्म में सदियों पुरानी परंपरा रही है कि, तिलक के साथ अक्षत लगाये जाते है। कहा जाता है कि, जिस तरह चावल कभी ख़राब नहीं होते हैं, वैसे ही व्यक्ति की उम्र भी इसे लगाने से कम नहीं होती। कहा जाता है कि चावल जितना पुराना होगा, वह उतना ही बेहतर लंबी आयु का करक माना जाता है।
- सनातन धर्म में चावल को शुद्धता का प्रतीक माना गया है। भगवान की पूजा-पाठ अथवा मांगलिक कार्यों में तिलक के बाद अक्षत लगाने का रिवाज रहा है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक ऐसा करने से व्यक्ति के आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माथे पर तिलक के साथ अक्षत लगाने से सभी ग्रहों का अशुभ प्रभाव कम होता है। यह ग्रहों को संतुलित करने में मददगार होता है। कहा जाता है कि तिलक पर चावल लगाने से सूर्य की ऊर्जा केंद्रित होती है, जिससे पूरे शरीर में आत्मविश्वास का संचार होने लगता है।
- हमारे धर्म में चावल को संपन्नता का प्रतीक माना गया है। यही वजह है कि, इसे माथे पर तिलक के साथ लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है। अक्षत का अर्थ ही है 'जिसका कभी क्षय न हो।' इसलिए इसका संबंध धन से माना गया है, जो इसे माथे पर लगता है उसे धन की कमी नहीं रहती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं व जानकारियों पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।)