इस साल भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। आज हम जानेंगे कि साल 2023 जाते-जाते इंडस्ट्री को क्या कुछ नया मिला है ? साथ ही इसने किन उतार-चढ़ाव का सामना किया है। लगातार बढ़ रही वाहनों की संख्या के साथ कार मेकर और सरकार दोनों यात्री सुरक्षा पर जोर दे रहे हैं। इसको लेकर कई नए कदम उठाए गए हैं। आइए, इनके बारे में जानते हैं।
BNCAP की शुरुआत
भारत में कारों की सुरक्षा का आकलन करने के उद्देश्य से भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (BNCAP) की शुरूआत, भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में महत्वपूर्ण विकासों में से एक है। वहीं, हुंडई और किआ जैसे वाहन निर्माताओं ने अपने पूरे वाहन लाइनअप में 6 एयरबैग अनिवार्य करके बेहरीन फैसला लिया है।
स्टैंडर्ड सेफ्टी फीचर्स
इन सुरक्षा मानकों को टाटा और महिंद्रा सहित अन्य भारतीय कार निर्माताओं द्वारा अपनाए जाने की उम्मीद है। इसके अलावा, अधिकांश वाहनों में आवश्यक सेफ्टी फीचर्स दिए गए हैं। इनमें थ्री-पॉइंट सीट बेल्ट, बच्चों के लिए डिजाइन की गई ISOFIX सीट्स, ट्रैक्शन कंट्रोल, एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम, टायर-प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम और एडास फीचर्स शामिल हैं।
Electric Cars की लॉन्चिंग
भारतीय बाजार में लगातार इलेक्ट्रिक कारों की मांग बढ़ रही है। इसे ध्यान में रखते हुए इंडियन कारमेकर्स ने साल 2023 में अपने कई इलेक्ट्रिक प्रोडक्ट पेश किए हैं। लॉन्च हुई इलेक्ट्रिक कारों की बात करें तो इनमें MG Comet से लेकर 2024 Tata Nexon EV जैसे नाम शामिल हैं। वहीं, इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर इंडस्ट्री में भी कई नए प्रोडक्ट पेश किए गए हैं।
क्या है BNCAP?
यह मानदंड आठ लोगों तक बैठने की अनुमति वाले और 3.5 टन से कम वजन वाले मोटर वाहनों के सुरक्षा मानकों को परिभाषित करते हैं, जो या तो देश में निर्मित या आयात करके बेचे जाते हैं। इस मानदंड को तैयार करने का काम 2015 में शुरू हुआ था। ये मानक ग्राहकों को वाहन खरीदने से पहले उसकी दुर्घटना सुरक्षा की तुलना करने के लिए एक ऑब्जेक्टिव मीट्रिक प्रदान करेंगे और निर्माताओं को मॉडलों की सुरक्षा रेटिंग में बेहतर सुधार करने के लिए प्रेरित करेंगे।
भारत एनसीएपी प्रोटोकॉल, ग्लोबल क्रैश टेस्ट प्रोटोकॉल से मिलता जुलता है। इसकी रेटिंग 1 स्टार से 5 तक होगी, यानि जितना अधिक एनसीएपी स्कोर (स्टार), उतनी ही सुरक्षित गाड़ी होगी। इस मूल्यांकन में (1) वयस्क ऑक्यूपियर प्रोटेक्शन (एओपी) (2) चाइल्ड ऑक्यूपियर प्रोटेक्शन (सीओपी) (3) सुरक्षा सहायता टेक्नोलॉजीज का फिटमेंट शामिल होगा।
इन परीक्षणों को करना होगा पास
- फ्रंटल इम्पैक्ट टेस्ट
- साइड इम्पैक्ट टेस्ट
- साइड पोल इम्पैक्ट टेस्ट
इन परीक्षणों में वाहन को AOP और COP के लिए अलग-अलग स्टार रेटिंग दी जाएगी। इसमें फ्रंट इम्पैक्ट टेस्टिंग 64 किमी/घंटा की स्पीड से ऑफसेट डिफॉर्मेबल बैरियर के अगेंस्ट होगा, जो कि 56 किमी/घंटा से अधिक है। पोल इंपैक्ट टेस्टिंग केवल 3 स्टार और उससे अधिक रेटिंग प्राप्त कारों के लिए ही किया जाएगा। साथ ही, 3-स्टार या इससे अधिक रेटिंग के लिए कार में इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल और फ्रंट सीट बेल्ट रिमाइंडर होना अनिवार्य है। ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) को पुणे और चाकन में अपनी लैब में इसके तहत वाहनों को टेस्ट करना अनिवार्य है।