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Skoda-VW: स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की चाकन फैसिलिटी में अभी भारत 2.0 प्रोडक्ट का तैयार किए जाते हैं। जिसमें कुशाक, ताइगुन, स्लाविया और वर्टस शामिल हैं।

Skoda-VW: स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (SAVWIPL) ने भारत में 15 लाख से ज्यादा गाड़ियां बनाने की उपलब्धि हासिल की। ग्रुप ने 3.80 लाख से ज्यादा स्थानीय रूप से निर्मित इंजनों और 3 लाख से अधिक यूनिट्स के भारत-निर्मित 2.0 प्रोडक्ट्स तैयार करने का भी ऐलान किया है। देश में इस कंपनी का प्लांट पुणे के चाकन में स्थित है। 

स्कोडा, वोक्सवैगन ने 10 साल में 3.8 लाख इंजन बनाए 
वोक्सवैगन समूह ने 2007 में अपनी चाकन फैसिलिटी में स्कोडा फैबिया के साथ भारत में प्रोडक्शन शुरू किया था। तब से समूह ने स्कोडा रैपिड, वोक्सवैगन पोलो, वेंटो और एमियो गाड़ियां भी तैयार कीं। इसके बाद ग्रुप की ओर से कुशाक, ताइगुन, स्लाविया, वर्टस की 3 लाख से ज्यादा यूनिट का प्रोडक्शन किया जा चुका है। 10 साल में 3.8 लाख इंजन बनाए गए। इतना ही नहीं यहां बने 30 प्रतिशत से अधिक मॉडल विदेशों में एक्सपोर्ट किए जाते हैं। 

दुनियाभर के करीब 40 देशों में किया जाता है एक्सपोर्ट 
चाकन फैसिलिटी में अभी भारत 2.0 प्रोडक्ट का तैयार किए जाते हैं। जिसमें कुशाक, ताइगुन, स्लाविया और वर्टस शामिल हैं। यह MQB-A0-IN प्लेटफॉर्म पर आधारित हैं, जो खासतौर से भारत के लिए बनाया गया है। भारत 2.0 अब तक बनाए गए सभी मॉडलों में से 1/5 से अधिक शामिल हैं। ब्रांड ने बताया कि उसके प्रोडक्शन का 30 फीसेदी से अधिक दुनियाभर के करीब 40 देशों में एक्सपोर्ट किया जाता है।

स्कोडा, वोक्सवैगन स्थानीय इंजन तैयार हो रहे
Skoda-VW ग्रुप ने 2015 में पोलो हैचबैक के 1.5-लीटर टीडीआई डीजल इंजन के साथ स्थानीय स्तर पर इंजन बनाने शुरू किए थे। इंजन शॉप ने 10 साल में 3.80 लाख इंजन तैयार किए हैं। 2.0-लीटर TDI डीजल और 1.0-लीटर और 1.2 MPI पेट्रोल इंजन भी यहीं बनाए गए। इंजनों की मौजूदा जनरेशन में से स्कोडा-वीडब्ल्यू यहां केवल 1.0-लीटर टीएसआई इंजन निर्माण करती है; 1.5-लीटर TSI और 2.0-लीटर TSI इंजन इंपोर्ट किए जाते हैं। 

(मंजू कुमारी) 

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