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Stock Market: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में एसटीटी और एलटीसीजी टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 2 प्रतिशत की गिरावट आई।

Stock Market: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट को लेकर भारतीय शेयर बाजार में मायूसी नजर आई। बजट भाषण से पहले स्टॉक मार्केट में फ्लैट कारोबार होता दिखा। इसके बाद जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का भाषण खत्म हुआ तो प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी 50 और सेंसेक्स करीब 2 फीसदी तक लुढ़क गए। बाजार में आई इस गिरावट की दो प्रमुख वजहें सीधे तौर पर सामने आई हैं। आइए विस्तार से जानते हैं...

कल्पतरु मल्टीप्लाय के डायरेक्टर अमिताभ मनिया जैन ने बताया कि वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में एसटीटी (STT) और एलटीसीजी (LTCG) टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है, जिसका सीधा असर शेयर बाजार पर देखने को मिला। बजट के बाद सेंसेक्स करीब 1.6 फीसदी और निफ्टी 1.8 फीसदी तक गिर गया। हालांकि, बाजार ने बाद में नुकसान बराबर कर लिया और दोपहर 3 बजे तक सेंसेक्स 80450 और निफ्टी 24500 पर लौट आए। दोनों आज के ओपन लेवल के आसपास हैं।

शेयर बाजार गिरावट के मुख्य कारण:

1) एसटीटी दर में वृद्धि:
निर्मला सीतारमण ने शेयरों और इंडेक्स ट्रेडिंग पर सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) को दोगुना करने का प्रस्ताव रखा। नए प्रस्ताव के अनुसार, ऑप्शंस की बिक्री पर एसटीटी दर 0.0625 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.1 फीसदी और फ्यूचर की बिक्री पर 0.0125 से बढ़ाकर 0.02 फीसदी कर दी जाएगी। माना जा रहा है कि इसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर F&O ट्रेडिंग पर लगाम लगाना है।

2) LTCG और STCG टैक्स दरों में बढ़ोतरी:
वित्त मंत्री ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) पर सभी फाइनेंशियल और नॉन-फाइनेंशियल एसेट्स पर टैक्स रेट को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 फीसदी करने का ऐलान किया है। इसके साथ ही कुछ फाइनेंशियल एसेट्स पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) पर टैक्स की दर 15 से बढ़ाकर 20 फीसदी की जाएगी।

एक्सपर्ट्स की क्या है राय?

  • विशेषज्ञों का मानना है कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में वृद्धि इतनी बड़ी नहीं है कि मार्केट सेंटिमेंट्स पर कोई बड़ा असर पड़े। वित्त मंत्री ने लोअर और मिडिल इनकम ग्रुप के लाभ के लिए कुछ फाइनेंशियल एसेट्स पर कैपिटल गेन की छूट सीमा को सालाना आधार पर 1 लाख से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपए करने का भी प्रस्ताव रखा है।
  • बजट में राजकोषीय घाटे को 4.9 प्रतिशत तक कम रखने का भी उल्लेख है, इसके लिए आरबीआई के लाभांश का बड़ा हिस्सा इस्तेमाल किया। जो बाजार के लिए पॉजिटिव सिग्नल है।
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