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राजकोषीय घाटा यानी फिस्कल डेफिसिट सरकार की आय और खर्च का अंतर होता है। इसकी भरपाई करने के लिए हर साल अनुमान के आधार पर आम बजट में लक्ष्य तय किए जाते हैं। 

Fiscal Deficit News: केंद्र सरकार का कुल खर्च चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीने (अप्रैल-नवंबर) में बढ़कर 26.52 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। जो कि 2023-24 के बजट अनुमान का 58.9% है। सरकारी आय और खर्च के बीच का अंतर भी बढ़ा है, जिसे फिस्कल डेफिसिट के रूप में जाना जाता है। राजकोषीय घाटा यानी फिस्कल डेफिसिट (fiscal deficit) अप्रैल-नवंबर अवधि में बढ़कर 9.06 लाख करोड़ रुपए हो गया। यह निर्धारित राजकोषीय घाटे के बजट लक्ष्य का 50.7 फीसदी है। 

पिछले साल कुल बजट अनुमान का 58.9% रहा
मोदी सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 17.87 लाख करोड़ रुपए रायकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा था। फाइनेंशियल ईयर 2022-23 की समान अवधि में कुल बजट अनुमान का 58.9% रहा था। सरकार ने पिछली बार के केंद्रीय बजट में राजकोषीय घाटे को जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद के 5.9 फीसदी पर लाने का लक्ष्य रखा है। यह 2022-23 के दौरान GDP का 6.4% रहा था, जबकि इसका पिछला अनुमान 6.7% रहा था।

सरकार के कुल खर्च में हुई बढ़ोतरी 
शुक्रवार को लेखा महानियंत्रक (CGA) ने राजकोषीय घाटा से जुड़े ताजा आंकड़े जारी किए। इसके मुताबिक, अप्रैल-नवंबर अवधि में सरकार का कुल खर्च 26.52 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। यह 2023-24 के बजट अनुमान का 58.9% है। 2022-23 की समान अवधि में सरकार का कुल खर्च बजट अनुमान का 61.9 फीसदी रहा था।

...तो दूसरी ओर रेवेन्यू में भी इजाफा
CGA के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से नवंबर के दौरान सरकारी राजस्व कुल 17.20 लाख करोड़ रुपए रहा। यह बजट अनुमान का 65.3 फीसदी है। वित्त वर्ष 23-24 के लिए कुल रेवेन्यू 26,32,281 करोड़ रु. निर्धारित किया गया था। पिछले साल समान अवधि के दौरान सरकार का रेवेन्यू बजट अनुमान का 64.6 फीसदी था। इस अवधि में, नॉन-डेटा कैपिटल रिसिप्ट्स में 16,604 करोड़ रुपये लोन की रिकवरी और 8,859 करोड़ रुपये अन्य कैपिटल रिसिप्ट्स शामिल हैं। ये सभी आंकड़े सरकारी खर्च और आय के बीच का वित्तीय अंतर दिखाते हैं।

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