Logo
Patanjali Misbranding Case: याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि दिव्य दंत मंजन पर वेजिटेरियन साइन है, जो इसे शाकाहारी दिखाता है, जबकि इसमें समुद्रफेन (सपिया ऑफिसिनैलिस) शामिल है, जो मछली से मिलता है। 

Patanjali Misbranding Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि के प्रोडक्ट की 'गलत ब्रांडिंग' के मामले में शुक्रवार (30 अगस्त) को केंद्र सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में आरोप है कि पतंजलि के दिव्य दंत मंजन (Patanjali Divya Dant Manjan) को शाकाहारी बताकर बेचा जा रहा है, जबकि इसमें मछली का अर्क शामिल है। इस मामले की अगली सुनवाई नवंबर में होगी।

'पतंजलि के शाकाहारी' प्रोडक्ट में मछली का अर्क?
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव नरुला ने केंद्र सरकार, खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI), पतंजलि आयुर्वेद, दिव्य फार्मेसी, योग गुरु रामदेव (Yoga Guru Ramdev) और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि दिव्य दंत मंजन पर हरे बिंदु का चिह्न (वेजिटेरियन साइन) लगाया गया है, जो इसे शाकाहारी दिखाता है, जबकि इसमें समुद्रफेन (सपिया ऑफिसिनैलिस) शामिल है, जो मछली से मिलता है। यह पूरी तरह से 'गलत ब्रांडिंग' का मामला है। 

दिव्य दंत मंजन में "समुद्रफेन" क्या एनिमल बेस्ड है?
याचिकाकर्ता के मुताबिक, यह खुलासा उनके और परिवार के लिए "परेशान करने वाली" थी, क्योंकि वे धार्मिक मान्यताओं और भावनाओं की वजह से सिर्फ शाकाहारी प्रोडक्ट इस्तेमाल करते हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि बाबा रामदेव ने एक यूट्यूब वीडियो में स्वीकार किया कि दिव्य दंत मंजन में प्रयुक्त "समुद्रफेन" एनिमल बेस्ड है। इसके बावजूद पतंजलि इस दंत मंजन को शाकाहारी बताकर बेच रही है। यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं के मिस लीडिंग विज्ञापनों के खिलाफ एक केंद्रीय अधिसूचना पर रोक लगा दी है। 

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने बंद किया था अवमानना केस
सुप्रीम कोर्ट 2022 में भारतीय चिकित्सा संघ की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें पतंजलि और योग गुरु रामदेव पर कोविड वैक्सीनेशन कैंपेन और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ एक भ्रामक अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है। शीर्ष अदालत ने  अगस्त में योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ की गई अवमानना कार्यवाही को बंद कर दिया था, जो भ्रामक विज्ञापनों के केस में कोर्ट के सामने किए गए वादों के उल्लंघन से जुड़ी थी।

5379487