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DHFL Scam: बैंक कंसोर्टियम लीडर की शिकायत पर जुलाई 2022 में सीबीआई ने डीएचएफएल के पूर्व प्रमोटर बधुंओं कपिल वधावन और धीरज वधावन समेत 13 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। 

DHFL Scam: देश के सबसे बड़े फाइनेंशियल स्कैम माने जा रहे डीएफएफएल केस में धीरज वधावन (Dheeraj Wadhawan) दोबारा सलाखों के पीछे पहुंच चुका है। मंगलवार रात सीबीआई ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड के पूर्व डायरेक्टर वधावन को गिरफ्तार किया। बुधवार को उसे दिल्ली के स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया, अदालत ने वधावन को न्यायिक हिरासत यानी जेल भेज दिया है। धीरज और उसका भाई कपिल दोनों जेल और अस्पतालों में मौज काटते रहे हैं। 

कैसे शुरू हुआ सबसे बड़ा फाइनेंशियल स्कैम?
इस मामले में कंसोर्टियम लीडर बैंक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीईआई) ने  जुलाई 2022 में बैंक फ्रॉड की शिकायत की थी, जिसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने डीएचएफएल के पूर्व प्रमोटर बधुंओं कपिल वधावन और धीरज वधावन समेत 13 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। यूबीआई के मुताबिक, उसने 2010 से 2018 के बीच डीएचएफएल को 42,871 करोड़ रुपए का लोन दिया था, जिसमें से 34,615 करोड़ रुपए बकाया है। इसके बाद 2019 में लोन एनपीए और 2020 में फ्रॉड घोषित कर दिया गया।

अप्रैल 2018 में यस बैंक से शुरू हुई मनी लॉन्ड्रिंग?   
सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक, यह घोटाला अप्रैल और जून 2018 के बीच शुरू हुआ, जब यस बैंक ने डीएचएफएल के शॉर्ट टर्म डिबेंचर में 3,700 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट किया। बता दें कि डीएचएफएल कंपनी के प्रमोटर्स पर 17 बैंकों के कंसोर्टियम के साथ 34,615 करोड़ रुपए की वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप है।

बीमारियों के बहाने जेल और अस्पतालों में मौज काटी 

  • इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, यस बैंक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी के बाद 2022 में धीरज वधावन ने जेल से ज्यादा वक्त तो मुंबई के एक लक्जरी हॉस्पिटल में बिताया था। बाकी समय के लिए भी वह मेडिकल जांच और बीमारी के नाम पर अस्पतालों के चक्कर काटता रहा। इस दौरान वह मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में 10 महीने भर्ती रहा। 
  • दावा है कि कपिल वधावन भी कथित तौर पर मेडिकल जांच के बहाने 7 अगस्त को मुंबई की तलोजा जेल से केईएम अस्पताल पहुंचा था, लेकिन वह अस्पताल की पार्किंग में अपने परिवार और कारोबारी सहयोगियों से मीटिंग करते नजर आया था। 9 अगस्त को धीरज वधावन ने भी बिल्कुल यही तरीका अपनाया और तलोजा जेल से जेजे अस्पताल पहुंचा था।
  • इंडिया टुडे की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान पुलिस टीम ने वधावन को स्पेशल ट्रीटमेंट दिया। वह रेस्टोरेंट में खाना खाते और कोल्ड ड्रिंक्स पीते नजर आया था। उसने घंटों लैपटॉप और मोबाइल फोन चलाया और बिजनेस से जुड़े कुछ जरूरी दस्तावेजों पर साइन करते हुए देखा गया।

कोरोना में लॉकडाउन तोड़ा, पुलिस से थी तगड़ी सेटिंग
बता दें कि वधावन फैमिली पर 2020 में कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन निमयों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगा था। तब वधावन बंधुओं ने परिवार और कुछ दोस्तों के साथ अपनी कारों में खंडाला से महाबलेश्वर स्थित अपने फार्महाउस तक का सफर किया था। जबकि, इस दौरान पुणे और सतारा दोनों जिलों में कोविड-19 की रोकथाम के लिए लॉकडाउन प्रतिबंध लागू थे। कहा जाता है कि लॉकडाउन के दौरान यात्रा की अनुमति दिलाने में कथित तौर पर मुंबई के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने वधावन बंधुओं की मदद की थी।

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