Quality Check: भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने मसालों और शिशु आहार की गुणवत्ता की जांच के लिए मुहिम की शुरुआत की है। इसका मकसद उपभोक्ताओं को सुरक्षित और गुणवत्ता की गारंटी प्रदान करना है। नियामक बाजार में उपलब्ध शिशु आहार के नमूने की भी जांच कर रहा है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस जांच का परिणाम अगले 15 दिनों में मिलने की संभावना है। बता दें कि सिंगापुर और हांगकांग में दो भारतीय मसाला ब्रांड के उत्पादों पर सवाल उठ चुके हैं।
मसालों की जांच के लिए 1,500 सैंपल जुटाए
FSSAI ने मसालों की गुणवत्ता परखने के लिए 25 अप्रैल को पूरे मुहिम शुरू की। देशभर से मसालों के 1,500 से अधिक नमूने (सैंपल) जुटाए हैं। इन नमूनों की जांच में रसायन, सूक्ष्मजीव, माइक्रोटॉक्सिन्स, सूडान डाई और एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) जैसे कीटनाशकों की मात्रा का पता लगाया जा रहा है। इसके बाद नतीजे 15 दिनों में मिल जाएंगे।
बेबी फूड्स प्रोडक्ट्स की भी हो रही जांच
इस मुहिम के तहत शिशु आहार यानी बेबी फूड्स के भी नमूने लिए गए हैं। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि उनमें कोई भी नुकसानकारक पदार्थ तो नहीं है। इसके नतीजे भी 15 दिनों में मिलेंगे। पिछले दिनों नेस्ले सेरेलेक और बॉनबीटा में हानिकारक तत्व शामिल होनी की खबरें आई थीं।
मसालों की गुणवत्ता सवालों के घेरे में
पिछले महीने हांगकांग में सेंटर फॉर फूड सेफ्टी (CFS) और सिंगापुर फूड एजेंसी ने भारत के दो मसाला ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट स्पाइसेस के प्रोडक्ट्स में ईटीओ की मात्रा जांचने का दावा किया था। इसके चलते FSSAI ने मसालों की गुणवत्ता को और अधिक ध्यान से जांचने का फैसला लिया है।
सुरक्षित खाद्य के लिए सरकारी पहल
यह पहल उपभोक्ताओं को सुरक्षित और गुणवत्ता से भरपूर फूड आइटम मुहैया कराने के लिए सरकार की एक जरूरी पहल है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके द्वारा खरीदे गए उत्पादों में किसी भी प्रकार का कोई खतरा तो नहीं है।