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पिछले एक साल में एफडी (Fixed Deposit) पर लोन 16.47 प्रतिशत तक बढ़ा। लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बिना झंझट के सिक्योर लोन से फंड जुटा रहे हैं। 

Loan against Fixed Deposit: आसमान छू रही महंगाई के दौर में पैसों की जरूरत हर किसी को हैं। ऐसे में अपने जरूरी काम पूरा करने के लिए लोग कई तरह से रकम का इंतजाम करते हैं। अगर बहुत ज्यादा इमरजेंसी है तो आप बैंक से कर्ज लेकर अपने काम निपटा सकते हैं। अगर आपके पास बेहत सिविल स्कोर है और इनकम प्रूफ हैं तो कोई भी बैंक आपको लोन देने से पीछे नहीं हटेगा। अगर बैंक कोलेटरल की मांग करता है और आप इसमें असमर्थ हैं। ऐसे में फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) पर लोन आपकी फंड की आवश्यकता को पूरा कर सकता है।

क्या होता है एफडी पर लोन? 
यह लोन सिक्योर कैटेगरी में आता है, जिसे फिक्स्ड डिपॉजिट पर लोन के रूप में जाना जाता है। इसके लिए आपके पास किसी भी बैंक की एफडी होनी चाहिए। फिलहाल, यह क्रेडिट प्राप्त करने के लिए सबसे लोकप्रिय तरीका बनकर सामने आया है। कुछ दिन पहले जारी 'मनीमूड' रिपोर्ट में सामने आया है कि एफडी पर लोन में सालाना आधार पर 16.47% की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2022 के 97.5 करोड़ रुपये की तुलना में एफडी पर लोन बढ़कर 2023 में 113.9 करोड़ रुपए हो गया। एफडी पर लोन लेने से पहले इससे जुड़े खास बिंदुओं पर गौर करना जरूरी है। 

1) इंटरेस्ट रेट: 
कोई भी लोन लेने से पहले ब्याज दर के बारे में पूरी जानकारी ले लेना जरूरी है। एफडी पर लोन अन्य विकल्पों के मुकाबले आमतौर पर आपकी जेब पर कम बोझ डालता है। एफडी में जमा रकम पर मिलने वाले ब्याज की तुलना में एफडी लोन पर लगने वाला इंटरेस्ट मात्र 0.75% से 2% अधिक होता है, क्योंकि एफडी को सुरक्षा के रूप में उपयोग किया जाता है। 

2) लोन अमाउंट: 
एफडी लोन ऑप्शन में आमतौर पर उपलब्ध लोन अमाउंट जमा राशि के 85% या उससे अधिक से शुरू होता है। कुछ बैंक या वित्तीय संस्थान के पास एफडी पर लोन की पेशकश के लिए न्यूनतम जमा राशि की आवश्यकता हो सकती है। 

3) प्रोसेस और कागजी कार्यवाही: 
एफडी पर लोन की प्रोसेस तेज होती है और कम समय में अप्रूवल हो जाता है, क्योंकि इसमें एफडी को सुरक्षित रूप से प्रोसेस में लाने की आवश्यकता नहीं होती है। कस्टमर की फाइनेंशियल हिस्ट्री के वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं होती है। 

4) कोलेटेरल और गारंटर: 
इस प्रकार के लोन में एफडी ही कोलेटेरल के रूप में कार्य करता है, जिसके कारण अतिरिक्त गारंटर की आवश्यकता नहीं होती है। लोन अवधि में एफडी पर पहले से तय दर पर ब्याज मिलता रहता है, इससे कर्जदाता को ईएमआई में आसानी होती है। 

5) रिपेमेंट टेन्योर और प्रीपेमेंट: 
एफडी लोन की रिपेमेंट शर्तें फ्लेक्सिबिल होती हैं और इसे लोन लेने वाले व्यक्ति किस्तों (EMI) में चुका सकता है। हालांकि, एफडी के मैच्योर होने से पहले रिपेमेंट किया जाना चाहिए। 

6) एलिजिबिलिटी क्या है: 
फिक्स्ड डिपॉजिट लोन के लिए आवेदन करने के लिए आपके पास एफडी अकाउंट होना जरूरी है। इसमें भारतीय नागरिकता, पारिवारिक ट्रस्ट, एचयूएफ, क्लब, सोसाइटी, समूह कंपनियां और पार्टनरशिप फर्म इत्यादि पात्र हो सकती हैं।

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