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WPI Inflation: जून में महंगाई के प्रमुख कारण खाद्य वस्तुओं, निर्मित खाद्य उत्पादों, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, मिनिरल ऑयल और अन्य मैन्यूफ्रेक्चर सेक्टर में कीमतों में बढ़ोतरी हैं। मई में थोक महंगाई दर 2.61% पर थी। 

WPI Inflation: देश की आम जनता को महंगाई के मोर्चे पर बड़ा झटका लगा है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, थोक मूल्य सूचकांक (WPI) मुद्रास्फीति (महंगाई दर) जून में 16 महीनों के सर्वाधिक 3.36% के स्तर पर पहुंच गई। इसके प्रमुख कारण खाद्य वस्तुओं, निर्मित खाद्य उत्पादों, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, मिनिरल ऑयल और अन्य मैन्यूफ्रेक्चर सेक्टर में कीमतों में बढ़ोतरी हैं। बता दें कि मई में थोक महंगाई दर 2.61% पर थी, जो जून में बढ़कर 3.36% हो गई। 

खाने-पीने की वस्तुएं और सब्जियां हुईं महंगी 
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य वस्तुएं में महंगाई दर मई के 7.40% से बढ़कर जून में 8.68% हो गई। प्राथमिक वस्तुएं मई के 7.20% से बढ़कर जून में 8.80% महंगी हो गई। ईंधन और ऊर्जा की मुद्रास्फीति मई के 1.35% से घटकर जून में 1.03% हो गई। निर्मित उत्पाद में मुद्रास्फीति जून में 1.43% पर रही। बता दें कि मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में 23 जुलाई को पूर्ण बजट पेश करने जा रही है। इसमें देखना होगा कि एनडीए सरकार आम जनता को कितनी राहत देगी।

खाद्य इन्फलेशन के क्या हैं आंकड़े?

  • जून में खाद्य वस्तुओं में सबसे ज्यादा चर्चा में रही सब्जियों की मुद्रास्फीति 38.76% दर्ज की गई। दालों की मुद्रास्फीति जून में 21.64% रही, जबकि मई में यह 21.95% थी। गेहूं की मुद्रास्फीति मई के 6.00% से बढ़कर 6.25% हो गई। 
  • अंडे, मांस और मछली की मुद्रास्फीति जून में माइनस 3.06% रही, जबकि मई में यह 0.68% थी। आलू और प्याज की मुद्रास्फीति क्रमशः 66.37% और 93.35% रही।
  • गैर-खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति -1.95% रही। खनिजों की मुद्रास्फीति 9.59% रही और कच्चे तेल एवं प्राकृतिक गैस की थोक महंगाई दर जून में 12.55% रही, जबकि कच्चे पेट्रोलियम की मुद्रास्फीति 14.04% रही।

महंगाई दर को लेकर विशेषज्ञों की क्या राय? 
ICRA लिमिटेड की चीफ इकोनॉमिस्ट और आउटरीच प्रमुख अदिति नायर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा- आगे जुलाई 2024 में हेडलाइन थोक महंगाई दर करीब 2.0% तक गिरने की उम्मीद है, ऐसा अनुकूल आधार और दुनियाभर में वस्तुओं कीमत में कुछ मंदी के कारण हो सकता है। जून 2024 में WPI मुद्रास्फीति की बढ़ोतरी अधिक रही है, जिसमें फ्यूल और पॉवर को छोड़कर सभी प्रमुख सेगमेंट शामिल थे। जुलाई 2024 में अब तक भारतीय कच्चे तेल की बास्केट की औसत कीमत काफी अस्थिर रही है, जो डिमांड-सप्लाई के अंतर के चलते जुलाई 11 तक मासिक आधार पर 86.6/bbl डॉलर देखी गई। कच्चे तेल की महंगाई कीमतें जुलाई में WPI मुद्रास्फीति पर ऊपरी दबाव डाल सकती हैं।

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