Indian Stock Market Achievement: भारतीय शेयर बाजार ने लगातार 8वें साल रिकॉर्ड तेजी के साथ नया मुकाम हासिल कर लिया। अमेरिका, चीन और जापान के बाद भारत अब दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बाजार बन चुका है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्केट कैपिटल के मामले में भारत ने हांग कांग (4.29 ट्रिलियन डॉलर) को पीछे छोड़ दिया। अब भारतीय शेयर बाजार का मार्केट कैप 4.33 ट्रिलियन डॉलर (359 लाख करोड़ रु.) पहुंच चुका है। अगर बाजार की ग्रोथ इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो जल्द ही भारत जापान (6.36 ट्रिलियन डॉलर) को भी पछाड़ देगा।
अमेरिकी बाजार मार्केट कैप में नंबर-1
बता दें कि अमेरिका 50.86 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया नंबर-1 मार्केट बना हुआ है। दूसरे स्थान पर चीन का शेयर बाजार है। जिसका मार्केट कैप 8.44 ट्रिलियन डॉलर है। जापान तीसरे नंबर है। अब 5वें स्थान पर आए साउथ एशियाई देश हांग कांग का शेयर बाजार लगातार चौथे साल लुढ़का है। चीन के शंघाई एक्सचेंज में दूसरे साल गिरावट देखने को मिली है। कोविड 19 के दौरान कड़े प्रतिबंध और वैश्विक कारणों से चीनी शेयर बाजार लुढ़क रहे हैं और भारतीय बाजार रोजाना रिकॉर्ड हाई पर पहुंच रहे हैं।
5 दिसंबर को बाजार पहुंचा था 4 ट्रिलियन डॉलर के पार
- भारतीय शेयर बाजार में लगातार तेजी और डीमैट खातों की बंपर ओपनिंग की बदौलत मार्केट कैप पहली बार 5 दिसंबर, 2023 को 4 ट्रिलियन डॉलर, यानी करीब 333 ट्रिलियन रुपए के पार पहुंच गया था।
- इससे पहले 2007 में बीएसई पर लिस्ट कंपनियों का मार्केट कैप 1 ट्रिलियन डॉलर था। इसे दोगुना होने में 10 साल लगे और मार्केट कैप 2017 में 2 ट्रिलियन डॉलर पहुंचा। बाजार में मजबूती जारी रही और फिर मई 2021 में 3 ट्रिलियन हो गया। अब 4.33 ट्रिलियन डॉलर मार्केट कैप के साथ भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार बन चुका है।
2023 में Sensex 18% से ज्यादा और Nifty 20% बढ़ा
बता दें कि पिछले एक साल में सेंसेक्स 18% से अधिक और निफ्टी में करीब 20% वृद्धि दर्ज की गई। जबकि, BSE मिडकैप ने 45.5% रिटर्न दिया और स्मॉलकैप ने 47.5% की छलांग लगाई। 2 जनवरी 2023 को सेंसेक्स 61,167 हजार पर था, जो 29 दिसंबर 2023 को 72,240 हजार पर पहुंच गया। इसी अवधि में निफ्टी 18,197 से बढ़कर 21,731 पर पहुंच गया था।
भारतीय शेयर बाजार में क्यों आई मजबूती?
मजबूत कॉर्पोरेट इनकम और रिटेल निवेशकों में बढ़ोतरी के चलते भारतीय इक्विटी मार्केट तेजी से बढ़ रहा है। भारत ने दुनियाभर में चीन के विकल्प के तौर पर खुद को स्थापित किया है और साथ ही दुनियाभर के निवेशकों और कंपनियों से कैपिटल ग्रोथ को लेकर आकर्षित कर रहा है।