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मोदी सरकार ने यह फैसला एथनॉल बनाने के लिए गन्ने के रस और चीनी शीरे के इस्तेमाल पर रोक लगाने के एक सप्ताह बाद किया है।

Ethanol Production: केंद्र सरकार ने अपना फैसला पलटते हुए चीनी मिलों को एथनॉल प्रोडक्शन के लिए गन्ने के रस और बी-हैवी शीरा के इस्तेमाल की मंजूरी दी है। हालांकि, शुक्रवार को आपूर्ति वर्ष 2023-24 में इसके लिए अधिकतम 17 लाख टन चीनी की सीमा तय की गई है। सरकार ने 7 दिसंबर को गन्ने के सर और शीरा से एथनॉल बनाने पर रोक लगाई थी। जिसके बाद से ही इंडस्ट्रियल सेक्टर में प्रतिबंध के फैसले को वापस लेने की मांग उठ रही थी।

जल्द जारी होगा नोटिफिकेशन: खाद्य सचिव
केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि आपूर्ति वर्ष 2023-24 (नवंबर-अक्टूबर) में एथनॉल प्रोडक्शन के लिए चीनों मिलों से जुड़े फैसले में बदलाव किया गया है। मंत्रियों की समिति ने इस पर निर्णय लिया है। इस संबंध में जल्द ही नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। हम एथनॉल बनाने के लिए गन्ने के रस और शीरा के रेश्यो पर के अनुपात पर काम कर रहे हैं।

देश में चीनी प्रोडक्शन घटने की आशंका
वहीं, खाद्य मंत्रालय के एक अफसर ने बताया कि पिछला आदेश जारी करने से पहले गन्ने के रस से करीब 6 लाख टन एथनॉल बनाया जा चुका था। सरकार का अनुमान है कि मौजूदा सत्र 2023-24 में देश में चीनी प्रोडक्शन घटकर 3.2-3.3 करोड़ टन रह जाएगा, जबकि पिछले पेराई सत्र में यह 3.7 करोड़ टन से ऊपर था। चीनी प्रोडक्शन घटने के पीछे गन्ने की उपज कम होने की आशंका है।

एथनॉल क्या है, कैसे बनता है?
एथनॉल एक प्रकार का अल्कोहल है, इसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में ईंधन के जैसे इस्तेमाल किया जाता है। एथनॉल शर्करा वाली कई अन्य फसलों से भी इसे तैयार किया जा सकता है। एथनॉल के इस्तेमाल से 35 प्रतिशत कम कार्बन मोनोऑक्साइड निकलती है। इसमें 35 फीसदी ऑक्सीजन होती है। इसके इस्तेमाल से नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन में भी कमी आती है। इसे इको-फ्रैंडली फ्यूल और जीवाश्म ईंधन के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। ब्राजील में करीब 40 प्रतिशत गाड़ियां 100 फीसदी एथनॉल से चलती हैं। कनाडा में भी इसके उपयोग पर सरकार सब्सिडी दे रही है।

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