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Digital Payments: अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि 2021 से 2024 के बीच डिजिटल पेमेंट्स की हिस्सेदारी बढ़कर दोगुनी हो गई। जिसमें यूपीआई की भूमिका अहम रही है।

Digital Payments: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 से 2024 के बीच डिजिटल पेमेंट्स की हिस्सेदारी दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है, जिसमें UPI (यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस) ने खासतौर से छोटे लेनदेन (ट्रांजैक्शन) में अहम भूमिका निभाई है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 से 2024 के बीच डिजिटल भुगतान की हिस्सेदारी दोगुनी से अधिक हो गई, इस बदलाव में यूपीआई गेम चेंजर साबित हो रहा है, खासकर छोटे मूल्य की खरीदारी के लिए।

कोविड-19 के बाद डिजिटल पेमेंट्स में आई तेजी
मार्च 2024 तक, उपभोक्ता खर्च में 60% हिस्सा कैश ट्रांजैक्शन का है, लेकिन इसका अनुपात तेजी से घट रहा है। कोविड-19 के बाद डिजिटल पेमेंट्स की ओर बदलाव से यह गिरावट और तेज हुई है। RBI के एक अर्थशास्त्री की स्टडी के अनुसार, मार्च 2021 में डिजिटल पेमेंट्स की हिस्सेदारी 14-19% थी, जो मार्च 2024 तक बढ़कर 40-48% हो गई।

कैश के इस्तेमाल में तेजी से आ रही गिरावट: रिसर्च 

  • RBI के करेंसी मैनेजमेंट डिपार्टमेंट के प्रदीप भुयान के रिसर्च पेपर में बताया गया है कि कैश का इस्तेमाल अभी भी काफी मात्रा में हो रहा है, लेकिन इसमें तेजी से गिरावट आई है। उनके पेपर 'कैश यूसेज इंडिकेटर (CUI) फॉर इंडिया' में 2011-12 से 2023-24 तक उपभोक्ता खर्च के रुझानों का एनालिसिस किया गया है।
  • प्रदीप भुयान के मुताबिक, CUI, जो निजी खपत में कैश लेनदेन की हिस्सेदारी को मापता है, जनवरी-मार्च 2021 में 81-86% से घटकर जनवरी-मार्च 2024 में 52-60% रह गया। यह संकेत करता है कि नकदी का उपयोग घट रहा है, लेकिन डिजिटल पेमेंट्स का अनुपात बढ़ रहा है।

2016 में नोटबंदी के वक्त शुरू हुई थी UPI
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2016 में नोटबंदी के दौरान शुरू हुई UPI ने 2020 के कोविड-19 लॉकडाउन के बाद से जबरदस्त ग्रोथ देखी है। 2016-17 में UPI के औसत कैश लेनदेन का साइज ₹3,872 था, जो 2023-24 में घटकर ₹1,525 हो गया, जो छोटे लेनदेन में इसके बढ़ते यूज को दर्शाता है।

कैश ट्रांजैक्शन के मुकाबले UPI का दायरा बढ़ा 
UPI की P2M (पर्सन-टू-मर्चेंट) लेनदेन में हिस्सेदारी 2020-21 में मूल्य के आधार पर 33% से बढ़कर 2023-24 में 69% हो गई, जबकि वॉल्यूम के आधार पर यह 51% से 87% तक बढ़ गई। साथ ही, 2023-24 में CWP (करेंसी विद पब्लिक)-टू-GDP अनुपात 13.9% से घटकर 11.5% रह गया, जो नगद लेनदेन की जगह UPI के बढ़ते इस्तेमाल को दिखाता है।

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