Vyjayanthimala: दिग्गज एक्ट्रेस वैजयंतीमाला अपने दौर की मशहूर अभिनेत्री रही हैं। उनके फिल्मी करियर का सुनहरा दौर 10 दशक का रहा जो 1955 से 1965 तक रहा। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए 1968 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उसी वर्ष वैजयंतीमाला ने डॉ. चमन लाल बाली से शादी की और फिल्मी जगत को अलविदा कह दिया।
उन्होंने राजनीति में भी कुछ समय बिताया, वे लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों की सदस्य रहीं। वह एक गायिका के रूप में कर्नाटक भक्ति-संगीत में भी सक्रिय रहीं। उन्होंने भरतनाट्यम सीखा और उसमें भी सफल हुईं। पिछले दिनों वैजयंतीमाला को देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा हुई है। इस मौके पर पेश है अभिनेत्री वैजयंतीमाला बाली की हरिभूमि से कुछ खास बातचीत...
पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित होकर आप कैसा महसूस कर रही हैं?
वैजयंतीमाला ने कहा- "मैं सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं हूं, भरतनाट्यम नृत्यांगना, कर्नाटक भक्ति-संगीत की गायिका भी हूं। मैंने तमिलनाडु के संतों और गुरुओं पर रिसर्च किया है। इनके साथ भजन गाए हैं। मुझे मेरे फिल्म करियर के लिए पद्मश्री पुरस्कार 1968 में मिल चुका है। अब जो पद्म विभूषण पुरस्कार की घोषणा हुई है, वो ओवरऑल मेरे डांस, सिंगिंग, एक्टिंग के लिए मिला है। मैं सरकार का तहेदिल से शुक्रिया अदा करती हूं, जो मुझे इस पुरस्कार के लायक समझा। मैं अपने प्रशंसकों के प्रति भी कृतज्ञ हूं।"
क्या आपको ये पुरस्कार मिलने की उम्मीद थी?
"मैंने और मेरे परिवार ने कभी भी किसी पुरस्कार की उम्मीद नहीं रखी। बिना उम्मीद के इतना बड़ा पुरस्कार पाने की खुशी शब्दों से परे है।"
कैसा महसूस होता है जब आप जीवन में पीछे मुड़कर देखती हैं?
"पीछे मुड़कर देखने से भला क्या हासिल होगा? मैं वर्तमान में जीने पर यकीन करती हूं। मैंने अपने जीवन में कोई ऐसी गलती नहीं की है, जिसका मुझे पछतावा हो। अपने पास्ट में मैंने जो फिल्में कीं, उन फिल्मों ने मुझे एक कल्ट और बेहतरीन अभिनेत्री होने की पहचान दी... इसके लिए मुझे पुरस्कार मिले। मैं अपने दौर में हिंदी फिल्म की पहली सुपर स्टार एक्ट्रेस रही हूं... मेरा स्टारडम 12 वर्षों तक रहा।"
उन्होंने आगे कहा- "जब मैं पीक पर थी, तब मैंने फिल्मों से संन्यास लिया और डॉ. चमन लाल बाली से विवाह कर लिया। आगे चलकर मुझे बेटा हुआ, जिसका नाम सुचिंद्र रखा। बाद में डॉक्टर बाली नहीं रहे। सुचिंद्र का विवाह नंदिनी से हुआ। उनकी दो बेटियां है- स्वरा और साहित्या। इन सभी के साथ मेरी जिंदगी बहुत प्यार और सुकून से कट रही है।"
क्या कुछ ऐसा है, जिसे ना पाने का मलाल है आपको?
"साल 2005 में मुझे लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड और उससे पहले पद्मश्री पुरस्कार मिल चुका है। ये दोनों पुरस्कार मेरे लिए बहुत मायने रखते हैं। मैं अपने करियर और जिंदगी से संतुष्ट हूं, कोई गिला-शिकवा नहीं है। मैंने जैसा कहा कि मैंने तमिल साधु-संतों पर गहरा रिसर्च किया है। मैंने कर्नाटक संगीत सीखा है... शोभा गुर्टू के साथ भजन और गीत गाए हैं। शोभा गुर्टू, किशोरी आमोणकर से संगीत सीखा है। मेरा एक सपना था, किशोरी आमोणकर भजन गाएं और उनके अद्भुत स्वरों पर मेरे पांव थिरकें, पर वो स्वप्न अधूरा रह गया।"
आपको फिल्मों में ब्रेक कैसे मिला?
"जब मैं पढ़ रही थी, तभी एवीएम बैनर के निर्देशक एम. वी. रमण ने मेरी नानी से मुझे फिल्मों में कास्ट करने के लिए बात की थी। नानी ने उनसे इस बात का वादा लिया था कि मेरी पढ़ाई को नुकसान ना हो। 1949 में 16 साल की उम्र में मुझे तमिल फिल्म ‘वड़कई’ से फिल्मों में ब्रेक मिला। इस फिल्म को सफलता भी मिली। इसी फिल्म का बाद में हिंदी रीमेक बना जिसका नाम ‘बहार’ था।
हिंदी सिनेमा में ‘नागिन’ मेरी पहली सफल फिल्म थी। इस फिल्म के 'तन डोले, मेरा मन डोले' गीत और इसमें डांस ने मेरी अलग पहचान बनाई थी। मुझे अभिनय, ग्लैमर, सादगी का प्रतीक माना जाने लगा। दिलीप कुमार के साथ मेरी रोमांटिक जोड़ी हिट रही। 'देवदास', 'लीडर', 'संघर्ष', 'मधुमती', 'गंगा-जमुना' जैसी हमारी फिल्मों ने कामयाबी हासिल की।"
अपने दौर में आपके पसंदीदा को-स्टार्स कौन थे?
"दिलीप साहब मेरे पसंदीदा को-स्टार थे। मेरे दूसरे पसंदीदा को-स्टार देव आनंद थे। ये दोनों ही स्टार्स एजुकेटेड और सोफिस्टिकेटेड थे। महिलाओं के साथ बहुत इज्जत से पेश आते थे।"
इन दिनों आपका क्या रूटीन रहता है?
"मैं सुबह 5 बजे उठ जाती हूं... रेगुलर काम के बाद कॉफी पीती हूं। कर्नाटक भक्ति संगीत में प्रार्थना करती हूं। दो घंटे मेरा भरतनाट्यम का रियाज चलता है। कई बालिकाएं मुझसे भरतनाट्यम सीखने आती हैं। अखबार पढ़ने के साथ ब्रेकफास्ट करती हूं। पूजा-पाठ के बाद लंच होता है। अपनी नातिन के साथ मेरा बहुत अच्छा वक्त गुजरता है। योग, प्राणायाम, मेडिटेशन भी दिन के रूटीन में शामिल हैं। कुछ क्लासिकल सॉन्ग्स सुनती हूं। इसी तरह दिन गुजर जाता है।"
पद्म विभूषण अवार्ड की घोषणा होने के बाद सबसे यादगार पल आपका किसके साथ बीता?
अभिनेत्री ने जवाब में कहा, "मुझे यह पुरस्कार मिलने की घोषणा होते ही देशभर से फैंस, रिश्तेदार, परिचित, फ्रेंड्स सभी ने बधाइयां दी। एक दिन हेमा मालिनी खासतौर पर मेरा अभिनंदन करने मुंबई से चेन्नई आईं। हमने काफी वक्त एक साथ गुजारा। खाना खाया, गपशप की और फिर फ्लैश बैक में चले गए। हेमा के साथ पूरा दिन बहुत खुशगवार बीता। उन्होंने बताया, उनकी मां उन्हें मेरी मिसाल दिया करती थीं कि वह भरतनाट्यम में मुझे फॉलो करें। मेरे लिए यह गर्व की बात है। लेकिन मेरे दृष्टिकोण से हेमा की मैं गुरु नहीं... वह डांस में मुझसे काफी अच्छी हैं। असल में मैं हेमा के लिए आइकॉन नहीं, वो मेरे लिए हैं।"
(प्रस्तुति- पूजा सामंत)