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प्रकृति में मौजूद विभिन्न पेड़-पौधे हमें केवल जीवनदायी ऑक्सीजन ही नहीं देते। इनकी पत्तियों में भी अच्छे स्वास्थ्य और अनेक रोगों से बचाव करने वाले गुण पाए जाते हैं। हम यहां कुछ पौधों के पत्तों में मौजूद औषधीय गुणों के बारे में बता रहे हैं। यह जानकारी आयुर्वेद वैद्य अशोक कुमार सिंह से बातचीत पर आधारित है।

Health Tips: पर्यावरणीय प्रदूषण और तरह-तरह की बीमारियों से अधिकतर लोग परेशान रहते हैं। ऐसे में हम कुदरत की शरण में जाएं तो काफी हद तक इनसे मुक्ति मिल सकती है। कुदरत ने पेड़-पौधों के पत्तों में परत दर परत ऐसे गुण सहेज रखे हैं, जिनके सेवन से कई बीमारियों से ना सिर्फ बचा जा सकता है बल्कि उन्हें ठीक भी किया जा सकता है। आइए कुछ पत्तों के बारे में जानते हैं।

शहतूत
शहतूत की पत्तियों को उबाल कर उसमें एक चुटकी सेंधा नमक डालकर गरारे करने से टांसिल्स की सूजन में आराम मिलता है और गले की खराश दूर हो जाती है। शहतूत की पत्तियों के रस में थोड़ी चीनी मिलाकर पीने से पेट की जलन और पेंडू की गर्मी में आराम मिलता है।

बिल्वपत्र
गर्भवती स्त्री को अगर उल्टियां आ रही हैं तो चार बिल्वपत्र (बेल की पत्ती) लेकर उसका रस निकालकर उसे मांड के साथ मिलाकर उसमें जरा सी मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार पिला देने से उल्टियां बंद हो जाती हैं। बिल्वपत्र रस के एक चम्मच में नागकेसर मिलाकर दिन में दो-तीन बार पिलाते रहने से ल्यूकोरिया के साथ ही रक्त प्रदर की शिकायत में भी लाभ होता है।

चमेली
अगर आपके मुंह में छाले हो गए हों तो तीन दिन नियम से चमेली की पांच पत्ती चबाने से आराम मिलता है। अगर मुंह से दुर्गंध आ रही हो तो चमेली की पत्तियों को उबाल कर उसमें आधे नीबू का रस निचोड़ कर कुल्ला करने से दुर्गंध दूर हो जाती है।

केला
केले के पत्तों को जलाकर उसकी बारीक राख में नारियल तेल को मिलाकर चर्मरोग वाले स्थान पर लगाते रहने से लाभ मिलता है। इस प्रयोग से पुराने से पुराने घाव, दाद, एक्जिमा, खुजली आदि में लाभ होता है।

अंजीर
सफेद दाग शुरू होते ही अंजीर के पत्तों और इसकी जड़ को घिसकर लेप लगाने से सफेद दाग का बढ़ना बंद हो जाता है और धीरे-धीरे दाग मिट जाते हैं। एक अंजीर के चार टुकड़े खाने से कफ वाली खांसी ठीक हो जाती है।

बबूल
ज्यादा खांसने पर सीने में दर्द होने या खांसने पर मुंह से खून का अंश आने पर बबूल के कोमल पत्तों को पानी में खौला कर दिन में तीन बार पीने से उक्त सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

पुदीना
पुदीने की पत्तियों को पीसकर उसके रस में आधा नीबू का रस और चुटकी भऱ काला नमक मिलाकर पीने से पेट का अफारा और अपच खत्म हो जाता है। इन पत्तियों को खाने से मुंह की दुर्गंध खत्म हो जाती है।

नीम
बेर तथा नीम के पत्तों को समान मात्रा में लेकर पानी में डाल कर उबाल लें। इस पानी से बालों को धोने से बाल झड़ना निश्चित रुप से रुक जाता है। जब तक बालों का झड़ना ना रुके, तब तक साबुन या शैंपू का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बाल झड़ने की बीमारी यदि नई है तो एक-डेढ़ सप्ताह में ही बाल झड़ने बंद हो जाते हैं।

चुकंदर
कान की पीड़ा में चुकंदर के पत्तों का रस गुनगुना करके दो-दो बूंदें दोनों कानों में डालें तीन-तीन घंटों में डालते रहने से कर्णशूल दूर हो जाती है। चुकंदर के पत्तों को लेकर साबुत हल्दी के साथ पानी का छींटा देकर बारीक पीस लीजिए। सिर पर इसका लेप करते रहने से सिर के गंजेपन में लाभ होता है। इसे प्रातः और सायं नियमित लगाइए। सर्दी लगकर अगर मासिक स्राव रुक गया हो तो दो चम्मच की मात्रा में चुकंदर के पत्तों का रस जरा-सा नमक डालकर दिन में तीन बार पीने से मासिक स्राव प्रारंभ हो जाता है। गर्भावस्था में इसका सेवन ना करें।

संतरा
संतरे के पत्ते के रस को हल्का गरम करके दो-दो चम्मच करके प्रतिदिन पिलाने से उल्टी, अपच, पेट और छाती की जलन दूर हो जाती है। इस रस के साथ कंधारी अनार के पत्तों का दो चम्मच रस नित्य पीते रहने से पुरानी खांसी, पायरिया, अपच, दुर्बलता, लिंग दुर्बलता, जिगर की गर्मी आदि कई बीमारियों में आराम मिलता है।

शिखर चंद जैन

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