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मोबाइल के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण आजकल लोगों में याद्दाश्त और एकाग्रता में कमी जैसी समस्याएं बढ़ने लगी हैं। इस समस्या को डिजिटल डिमेंशिया कहा जाता है। इससे कैसे करें बचाव, आपको जरूर जानना चाहिए।

Digital Dementia: आपने भी शायद यह महसूस किया होगा कि जब भी कुछ पलों के लिए आप अपने मोबाइल से दूर होते हैं, तो आपको बेचैनी महसूस होने लगती है। हाथों में स्मार्ट फोन लेकर उसे घंटों स्क्रॉल करते रहने की आदत ना केवल लोगों के मानसिक, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत नुकसानदेह साबित होती है।

क्या है नुकसान
जब हम स्क्रीन के साथ ज्यादा समय बिताते हैं तो एकाग्रता में कमी आने लगती है। जबकि अच्छी याद्दाश्त के लिए एकाग्रता बहुत जरूरी है। मोबाइल के साथ ज्यादा वक्त बिताने के कारण हमारी हॉबीज पीछे छूटने लगती हैं। मोबाइल के कारण व्यक्ति अपने अन्य जरूरी कार्यों पर ध्यान नहीं दे पाता। जिससे वह अपने प्रोफेशनल जीवन में पिछड़ने लगता है, स्टूडेंट्स के रिजल्ट पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।

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प्रमुख लक्षण
डिजिटल डिमेंशिया के शिकार लोगों में अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द और हाई बीपी जैसे लक्षण नजर आते हैं। चूंकि ऐसे लोग वॉक, एक्सरसाइज जैसी शारीरिक गतिविधियों से दूर हो जाते है, इसलिए इनका वजन तेजी से बढ़ने लगता है, जिससे इन्हें ओबेसिटी और डायबिटीज जैसी समस्याएं परेशान करने लगती हैं। लोगों की शॉर्ट टर्म मेमोरी कमजोर होने लगती है, शब्दों को याद करने में कठिनाई होती है और मल्टीटास्किंग स्किल भी कमजोर हो जाती है। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इस समस्या से पीड़ित लोग खुद इसके लक्षणों से अनजान होते हैं और पल भर के लिए भी अपने मोबाइल से दूर रहने के लिए तैयार नहीं होते हैं। लोग अपना अकेलापन दूर करने के लिए मोबाइल पर निर्भर होते है, लेकिन इसी निर्भरता के कारण उनका अकेलापन और बढ़ने लगता है। 

कैसे करें बचाव
मोबाइल अकेलापन दूर करने का सबसे आसान माध्यम लगता है, इसीलिए अपनी बोरियत दूर करने के लिए लोग अकसर मोबाइल स्क्रॉल करते रहते हैं। इस आदत से बचने के लिए मोबाइल और गैजेट्स के अलावा अन्य विकल्प ढूंढ़ने चाहिए। लोगों से मिलें और बातचीत करें, घर की सफाई और बागवानी जैसे कार्यों में स्वयं को व्यस्त रखें। अपने लिए कुछ नए शौक विकसित करें। मसलन, अच्छी किताबें पढ़ें, डायरी लिखें, पेंटिंग, म्यूजिक, डांस और आर्ट एंड क्राफ्ट जैसी एक्टिविटीज में स्वयं को व्यस्त रखें। 

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कम से कम मोबाइल देखने का करें प्रयास
अपना स्क्रीन टाइम घटाने की कोशिश करें। रात को सोने के दो घंटे पहले से मोबाइल देखना बंद कर दें। अगर आप अपने बच्चों को इस बुरी आदत से बचाना चाहते हैं, तो पहले अपना स्क्रीन टाइम घटाने की कोशिश करें। अपने घर में यह नियम बनाएं कि लगातार एक घंटे तक परिवार का कोई भी सदस्य मोबाइल नहीं देखेगा। टाइम मिलने पर आपस में बातचीत करें या कोई बोर्ड गेम खेलें। जब फोन की बैटरी लो हो जाए तो उसे चार्जिंग के लिए ऐसी जगह पर लगाएं, जिसके आस-पास बैठने की कोई जगह ना हो, इसी बहाने थोड़ी देर तक आप फोन से दूर रहेंगे। 

नोटिफिकेशन को रखें बंद
नोटिफिकेशन ऑफ रखें, अगर जरूरी बात करनी हो तो मैसेज के बजाय कॉल करें, अगर किसी प्रोफेशनल जरूरत के कारण स्क्रीन के साथ ज्यादा वक्त बिताना हो, तो मोबाइल के बजाय लैपटॉप का इस्तेमाल करें। एप्स के बजाय ब्राउजर का इस्तेमाल करें, क्योंकि इसका प्रोसेस थोड़ा लंबा होता है तो आलस्य की वजह से आप इसका कम इस्तेमाल करेंगे। आजकल प्रोफेशनल जरूरतों के कारण मोबाइल पर निर्भरता बढ़ती जा रही है, लेकिन कोशिश यही होनी चाहिए कि छुट्टी वाले दिन मोबाइल से दूर रहें। अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आपके लिए डिजिटल डिमेंशिया से बचना आसान हो जाएगा।

(यह जानकारी डॉ. विपुल रस्तोगी सीनियर साइकेट्रिस्ट मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम से बातचीत पर आधारित है।) 

प्रस्तुति:विनीता

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