Nestle Adds 3g Sugar in Cerelac: मैगी को लेकर विवादों में रही नेस्ले कंपनी एक बार फिर सुर्खियों में है। वजह बेबी प्रोडक्ट सेरेलैक है। पब्लिक आई की एक जांच के अनुसार, भारत में नेस्ले के दो सबसे ज्यादा बिकने वाले बेबी-फूड ब्रांडों में काफी मात्रा में चीनी मिली है। जबकि यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी स्विट्जरलैंड और अन्य विकसित देशों में वही प्रोडक्ट चीनी मुक्त हैं। मतलब साफ है कि नेस्ले विकसित और विकासशील देशों के साथ भेदभाव कर रहा है, बल्कि बच्चों के जीवन के साथ भी खिलवाड़ कर रहा है।
एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों में मिला चीनी
भारत में नेस्ले कंपनी के प्रोडक्ट की सेल काफी अधिक है। बच्चों के लिए प्रोडक्ट बनाने में नेस्ले दुनियाभर में सबसे बड़ी कंपनी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी कई देशों में शिशु दूध और अनाज उत्पादों में चीनी और शहद मिलाती है। यह मोटापे और पुरानी बीमारियों को रोकने के उद्देश्य से इंटरनेशनल गाइडलाइन का उल्लंघन है। यह उल्लंघन केवल एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों में पाए गए।
Shame on @Nestle: In India, the Swiss giant sells #baby food with almost 10% added sugars (and total 25% sugars), where scientists clearly warn to feed sugar products to infants & toddlers https://t.co/yAyIBns6vV pic.twitter.com/6Yc8lgurzi
— Petra Sorge (@petrasorge) May 2, 2022
भारत में 3 ग्राम चीनी, ब्रिटेन-जर्मनी में शुगर फ्री
नतीजों से पता चला कि भारत में सभी 15 सेरेलैक शिशु प्रोडक्ट में लगभग 3 ग्राम चीनी होती है। अध्ययन में कहा गया है कि यही उत्पाद जर्मनी और ब्रिटेन में बिना अतिरिक्त चीनी के बेचा जा रहा है, जबकि इथियोपिया और थाईलैंड में इसमें लगभग 6 ग्राम चीनी होती है।
इस प्रकार के उत्पादों की पैकेजिंग पर उपलब्ध पोषण संबंधी जानकारी में अक्सर अतिरिक्त चीनी की मात्रा का खुलासा भी नहीं किया जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नेस्ले अपने उत्पादों में मिलने वाले विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्वों को प्रमुखता से उजागर करती है, लेकिन जब अतिरिक्त चीनी की बात आती है तो यह पारदर्शी नहीं है।
नेस्ले ने 2022 में भारत में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के सेरेलैक उत्पाद बेचे। विशेषज्ञों का कहना है कि शिशु उत्पादों में अत्यधिक नशीली चीनी मिलाना खतरनाक है।
विज्ञानी ने जताई चिंता
ब्राजील में संघीय विश्वविद्यालय पैराइबा के पोषण विभाग में महामारी विज्ञानी और प्रोफेसर रोड्रिगो वियाना ने कहा कि यह एक बड़ी चिंता का विषय है। शिशुओं और छोटे बच्चों को दिए जाने वाले खाद्य पदार्थों में चीनी नहीं मिलानी चाहिए क्योंकि यह अनावश्यक और अत्यधिक नशे की लत है।
उन्होंने कहा कि बच्चे मीठे स्वाद के आदी हो जाते हैं और अधिक मीठे खाद्य पदार्थों की तलाश करने लगते हैं। जिससे एक निगेटिव साइकिल शुरू हो जाती है। जब बच्चे बड़े होते हैं तो उनमें पोषण-आधारित विकारों का खतरा बढ़ जाता है। इनमें मोटापा और अन्य पुरानी गैर-संचारी बीमारियां, जैसे मधुमेह या उच्च रक्त दबाव शामिल हैं।
प्रवक्ता ने दी ये सफाई
नेस्ले इंडिया के प्रवक्ता ने दावा किया वे सभी स्थानीय नियमों और अंतरराष्ट्रीय मानकों का अनुपालन करते हैं। पिछले पांच वर्षों में अपने शिशु अनाज रेंज में अतिरिक्त शर्करा को 30% तक कम कर चुके हैं। प्रवक्ता ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में नेस्ले इंडिया ने हमारे शिशु अनाज पोर्टफोलियो (दूध अनाज आधारित पूरक भोजन) में अतिरिक्त शर्करा को 30% तक कम कर दिया है।
WHO ने दी चेतावनी
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने चेतावनी दी है कि छोटे बच्चे यदि चीनी के संपर्क में आते हैं तो उनमें जीवन भर चीनी प्रोडक्ट को प्राथमिकता देने की लत लग जाती है। इससे मोटापा और अन्य कई बीमारियों होने का खतरा बढ़ जाता है। 2022 में WHO ने बच्चों के लिए फूड प्रोडक्ट में अतिरिक्त चीनी और मिठास पर प्रतिबंध लगाने को कहा था।