Diabetes problem: आमतौर पर डायबिटीज होने की मुख्य वजह गलत जीवनशैली और खान-पान को फॉलो करना होता है। यही वजह है कि हाल के वर्षों में इसकी गिरफ्त में सबसे ज्यादा यंगस्टर्स ही आ रहे हैं। यंगस्टर्स को डायबिटीज के प्रति अवेयर करने, उसके लक्षणों और बचाव के तरीकों के बारे में यहां विस्तार से बता रहे हैं।
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 7 करोड़ 50 लाख लोग डायबिटीज या मधुमेह से पीड़ित हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि मधुमेह से पीड़ित इन लोगों में बड़े पैमाने पर (20 से 25 फीसदी तक) युवा हैं, जिन्हें आमतौर पर पहले लाइफस्टाइल बीमारियां कम हुआ करती थीं। लेकिन वर्तमान में डायबिटीज एक ऐसी जानलेवा लाइफस्टाइल बीमारी बन गई है, जिसने पूरी दुनिया पर अपना शिकंजा कसा है। इसके चलते हर साल दुनिया भर से 67 लाख लोग असमय मौत के मुंह में समा जाते हैं। अकेले भारत में ही 6 लाख से ज्यादा लोग हर साल डायबिटीज की वजह से समय पूर्व मर जाते हैं।
डिस्टर्ब लाइफस्टाइल का परिणाम
मधुमेह को साइलेंट किलर डिजीज इसलिए कहते हैं, क्योंकि चुपके से होने वाली एक जानलेवा बीमारी है। इसे होने से रोक पाना तो आसान होता है, लेकिन एक बार हो जाए तो फिर उससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल होता है। आमतौर पर मधुमेह बेतरतीब जीवनशैली का दुष्परिणाम होता है। इस दौर में युवाओं को ना सिर्फ सबसे ज्यादा मानसिक श्रम करना पड़ता है बल्कि उससे भी कहीं ज्यादा तनाव में रहना पड़ता है, क्योंकि हर तरफ जिंदगी में भागम-भाग लगी हुई है। अगर अलग-अलग क्षेत्रों के मानदंडों के हिसाब से देखें तो इस समय जहां 20वीं सदी के मध्य के दशकों के मुकाबले काम-काज के घंटे औसतन 2 से 3 बढ़ गए हैं, वहीं देखने वाली एक बात यह भी है कि आज काम-काज का तौर-तरीका बेहद जटिल और तनावपूर्ण हो चुका है। पहले जहां इंसान मैन्युअल तरीके से काम किया करता था, तो उसके काम-काज में गंभीर प्रतिस्पर्धा नहीं होती थी, लेकिन आज इंसान की सामान्य गतिविधियों में भी 50 प्रतिशत तक तकनीक का हस्तक्षेप हो गया है, इसलिए आज काम-काज का तरीका बहुत तेज रफ्तार हो गया है, जो कि ज्यादा सजगता और लगातार ज्यादा मेहनत की मांग करता है।
मेंटल प्रेशर भी है वजह
मौजूदा दौर में लोगों के बीच जानलेवा प्रतिस्पर्धा लगातार बढ़ रही है और इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण बेहतर लाइफस्टाइल हासिल करने की होड़ है। क्योंकि इतिहास के किसी भी दौर से ज्यादा आज लोगों में उपभोक्तावादी प्रवृत्ति हावी है, इसलिए लोग ज्यादा से ज्यादा उपभोग करते हैं और ज्यादा से ज्यादा काम के बोझ से भी लदे रहते हैं। इन सब स्थितियों ने हमारी जीवनशैली को अतीत के मुकाबले ज्यादा आसान और सुविधायुक्त तो बनाया है, लेकिन ये सुविधाएं बहुत ज्यादा कीमत वसूल रही हैं। इस वजह से युवाओं में बहुत ज्यादा तनाव है, इस कारण पहले जो युवा मस्त और बेफिक्र हुआ करते थे, आज ऐसे युवा ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलते। करियर से लेकर अच्छी नौकरी, आरामतलब लाइफ और समय पर ईएमआई चुकाने का युवाओं पर जो भयानक दबाव है, उस दबाव को न झेल पाने के कारण हर साल भारत में हजारों नए युवा डायबिटीज के चक्रव्यूह में फंसने के लिए मजबूर हैं।
यंगस्टर्स बरतें पूरी सावधानी
जीवनशैली की ऐसी स्थतियों को देखते हुए युवाओं को विशेष रूप से इस जानलेवा बीमारी से बचने की जरूरत है। पूरी दुनिया में जो 53 करोड़ 70 लाख लोग मधुमेह से पीड़ित हैं, उनमें करीब 17 करोड़ युवा हैं। भारत में करीब एक करोड़ से ज्यादा युवा अलग-अलग टाइप की डायबिटीज से पीड़ित हैं। इसलिए उन्हें अपने खान-पान से लेकर दिनचर्या तक में ज्यादा से ज्यादा सजग और अनुशासित रहना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, चाहे युवा हों या अधेड़, डायबिटीज से तभी बच सकते हैं, जब हम इससे अतिरिक्त रूप से सजग रहें और डायबिटीज के शुरुआती लक्षणों के बाद ही सही ट्रीटमेंट शुरू कर दें।
इन लक्षणों पर रखें नजर
बहुत सारे युवाओं को यह समझना थोड़ा मुश्किल होता है कि क्या वे डायबिटीज से पीड़ित हैं? यह जानने का सबसे आसान तरीका डायबिटीज के कुछ लक्षण हैं। डायबिटीज का शुरुआती लक्षण ब्लड प्रेशर का बढ़ना है। शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ सकती है। अकसर तनाव में रहने के कारण भूख भी कम लगती है और आंखों के नीचे बहुत कम उम्र में ही काले-काले धब्बे दिखने लगते हैं। कुछ लोगों को जहां डायबिटीज में कम या बिल्कुल भूख नहीं लगती, वहीं कुछ दूसरे लोगों को मधुमेह में ज्यादा भूख लगने लगती है। बार-बार थकान लगना, प्यास बहुत लगना, अचानक आंखों के सामने अंधेरा छा जाना और रोशनी का धीरे-धीरे कम होते जाना। डायबिटीज के ये सब लक्षण हैं और इसके कारण आप तेजी से बूढ़े दिखने लगते हैं। इसके अलावा याद्दाश्त कम होने लगती है और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से अरुचि होने लगती है।
बचाव का तरीका
युवाओं को डायबिटीज को लेकर विशेष रूप से सजग रहना चाहिए। उन्हें इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। इससे बचाव का सबसे आसान तरीका है कि नियमित रूप से एक्सरसाइज की जाए। फास्ट फूड से बचा जाए। हर दिन युवा मोबाइल स्क्रीन पर जो 4 से 5 घंटे का वक्त बिताते हैं, उसे घटाकर एक से सवा घंटे तक लाया जाए और हर दिन भरपूर नींद ली जाए। अगर ये उपाय किए जाएं तो युवाओं का डायबिटीज से आसानी से बचाव हो सकता है। लेकिन अगर आप डायबिटीज से ग्रस्त हो ही जाएं तो ट्रीटमेंट शुरू करने में देर नहीं करनी चाहिए। इससे उसे कंट्रोल किया जा सकता है।
अवेयरनेस- रेखा देशराज