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आफिस में काम करने वाले कर्मचारी लगातार कई घंटो तक काम करते हैं। जिसके कारण कमर दर्द की समस्या बन जाती है। इस समस्या को योग के माध्यम से भी खत्म किया जा सकता है। 

Waist Pain Of rid: आफिस में काम करने वाले कर्मचारी लगातार कई घंटो तक काम करते हैं। जिसके कारण कमर दर्द की समस्या बन जाती है। एक ही पोस्चर में बैठकर काम करने के कारण यह समस्या होती है। इस समस्या को योग के माध्यम से भी खत्म किया जा सकता है। 

देश में हड्डियों की समस्या काफी बढ़ गई है। इसे स्लिप डिस्क कहा जाता है। आफिस में काम करने वाला लगभग 80 % युवा इस बीमारी से जूझ रहा है। कमर दर्द और गर्दन में दर्द इसका प्रमुख लक्षण है। यह बैठने में काफी तकलीफ देता है। भारी मात्रा में युवा डॉक्टर के पास इलाज करवाने जाते हैं। फिर भी समस्या से निजात नही पाया जा रहा। अगर आप रोजाना इन चार योगासन को करते है, तो स्लिप डिस्क से काफी हद तक छुटकारा पा सकते हैं।

शलभासन (Locust Pose) 
शलभासन स्लिप डिस्क जैसी बीमारी में काफी असरदार होता है। इसे करने से कुछ ही दिन में असर दिखाई देने लगता है और कमर दर्द से छुटकारा मिलता है। इस योगासन को पेट के बल जमीन पर लेटकर रीढ़ की हड्डी को मोड़ा जाता है। शलभासन में शरीर टिड्डे के आकार का हो जाता है। यह योगासन स्लिप डिस्क के साथ ही कई समस्याओं से राहत दिलाता है।

भुजंगासन (Cobra Pose)
भुजंगासन में शरीर फन उठाए सांप की तरह होता है। इस आसन में रीढ़ की ऊपरी हड्डियों पर सकारात्मक दबाव पड़ता है। इससे शरीर लचकदार बनता है और शरीर में काफी आराम मिलता है। कमर दर्द की समस्या से छुटकारा के लिए यह आसम काफी अच्छा माना जाता है।

शवासन (Shavasana)
शवासन योगासन को योग करने के बाद या आखिरी में भी किया जा सकता है। यह स्लिप डिस्क की समस्या के साथ ही यह तनाव दूर करता है, उच्च रक्तचाप सामान्य करता है और नींद न आने की समस्या को दूर भगाता है। 

उष्ट्रासन (Camel Pose)
उष्ट्रासन में शरीर ऊंट की मुद्रा में रहता है। इस आसन में शरीर को पीछे की तरफ झुकाया जाता है। जिससे रीढ़ की हड्डी पर सकारात्मक दबाव बनता है और उससे जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं। उष्ट्रासन रोजाना करने से शरीर के तीन हिस्से यानी कंधे, छाती और कमर बहुत मजबूत बनते हैं और शरीर लचीला बनता है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सामग्री सिर्फ जानकारी के लिए है। कोई भी उपाय, टिप्स या उपचार संबंधी चीजों को अपनाने से पहले विषय विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है। हरिभूमि इसके लिए उत्तरदायी नही होगा।

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