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Parenting Tips: पैरेंटिंग एक बेहद चुनौतीभरा काम है। बच्चों की परवरिश में थोड़ी सी भी चूक उनका भविष्य बिगाड़ सकती है। आइए जानते हैं पैरेंटिंग से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।

Parenting Tips: हर मां-बाप की चाहत होती है कि उनका बच्चा जिंदगी में वो सबकुछ हासिल करे जो वे खुद नहीं कर पाए हैं। इसीलिए पैरेंट्स बच्चों की परवरिश में जी जान से जुटे रहते हैं। बच्चे को अच्छी पैरेंटिंग देने के चक्कर में कई बार माता-पिता कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो कि बच्चों के भविष्य के लिहाज से बेहद नुकसान पहुंचा सकती है। बच्चा आपकी बातों, आपके व्यवहार से लेकर आपकी ओर से की गई हर एक्टिविटी से सीखता है, ऐसे में कुछ बातें बतौर पैरेंट्स आपके लिए भी समझना जरूरी है। 

पैरेंटिंग में 5 बातों का रखें ख्याल

बार-बार न डांटें - छोटे बच्चे बहुत ज्यादा संवेदनशील होते हैं। उन्हें अनुशासित करने के फेर में कई बार पैरेंट्स उन पर जरूरत से ज्यादा सख्ती बरतने लगते हैं। नतीजे में बच्चे काफी सहमे से रहने लगते हैं और उनका आत्मविश्वास काफी नीचे आ जाता है। बच्चे को बार-बार डांटना उसे उम्र बढ़ने के साथ जिद्दी और गुस्सैल बना सकता है।

फैसले की दें आज़ादी - बच्चे को आप भविष्य का बेहतर और सफल इंसान बनाना चाहते हैं तो उसे अपने हर निर्णय को लेने की आज़ादी दें। बच्चे को निर्णय लेना सिखाएं और उनके हर फैसले को आप तय न करें। बच्चे से जुड़ा हर फैसला अगर पैरेंट्स लेंगे तो धीरे-धीरे बच्चे की निर्णय लेने की क्षमता खत्म हो जाएगी, जिसका खामियाजा उसे जिंदगीभर उठाना पड़ेगा। 

बच्चे की तुलना न करें - ज्यादातर पैरेंट्स की आदत होती है कि वे अपने बच्चे की तुलना पड़ोसी या किसी रिश्तेदार के बच्चे के साथ करते हैं। दूसरे के बच्चे को बेहतर बताना आपके बच्चे में कमी का भाव पैदा कर सकता है। धीरे-धीरे ये आदत बच्चे को खुद पर से विश्वास उठा सकती है। 

धैर्य रखना सिखाएं - सिंगल चाइल्ड होने से आजकल ज्यादातर बच्चे काफी जिद्दी होने लगे हैं। बच्चों की कोई भी जिद पैरेंट्स तत्काल पूरी कर देते हैं, नतीजा ये है कि बच्चों में धैर्य काफी कम हो गया है। मांग पूरी न होने पर बच्चे गुस्सा करने लगते हैं या नाराज हो जाते हैं। ऐसे में बच्चे को धैर्य सिखाने के लिए उन्हें तत्काल कोई भी चीज मुहैया न कराएं और पैशेंस रखना सिखाएं। 

खुद में लाएं बदलाव - बेहतर पैरेंटिंग के लिए खुद में बदलाव लाना भी बेहद जरूरी है। आज बच्चों के सामने जिस तरह का व्यवहार करेंगे, बच्चा अकेले में उसी को दोहराएगा। इसीलिए बच्चे के सामने सही शब्दों का उपयोग करें। उन्हें अच्छी बातें सिखाएं और खुद भी उन्हें फॉलो करें। 

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