Parenting Tips: बढ़ती उम्र के बच्चों के साथ किसी भी मां-बाप के लिए ताल-मेल बनाना मुश्किल काम होता है। बात जब टीनएजर बेटियों की आती है तो पैरेंट्स के लिए ये और भी पेंचिदा हो जाता है। किशोरावस्था के दौरान अगर बच्चों के साथ सही व्यवहार नहीं किया जाए, या फिर रिश्तों को सही ढंग से सहेजा न जाए तो इसके परिणाम ताउम्र देखने को मिल सकते हैं।
पैरेंट्स के लिए जरूरी है कि अपनी टीनएज बच्ची से होने वाली छोटी-छोटी अनबनों से बचें। बच्ची को पैरेंट्स बनकर नहीं बल्कि दोस्त बनकर समझाइश दें। टीनएजर बेटियों के साथ रिश्ते बेहतर करने के कुछ टिप्स जानते हैं।
पैरेंट्स के लिए काम के हैं 6 टिप्स
संवाद (Communication): खुला और ईमानदार संवाद बनाए रखें। अपनी बेटी से उसकी भावनाओं, विचारों और अनुभवों के बारे में खुलकर बात करें। उसकी बात ध्यान से सुनें और बिना किसी निर्णय के उसे समझने की कोशिश करें। अपनी बेटी को बताएं कि आप उससे कितना प्यार करते हैं और उसकी परवाह करते हैं। उसके साथ नियमित रूप से बातचीत करें, भले ही वह व्यस्त हो।
इसे भी पढ़ें: Parenting Tips: बच्चे को अच्छा वक्ता बनाना चाहते हैं, पैरेंट्स अपनाएं 5 तरीके, स्पीच सुनकर हर कोई होगा इंप्रेस
विश्वास (Trust): अपनी बेटी पर भरोसा करें और उसे स्वतंत्रता दें। उसकी गोपनीयता का सम्मान करें और उसके निजी मामलों में हस्तक्षेप न करें। जब वह गलती करती है तो उसे माफ करने के लिए तैयार रहें। उसे सिखाएं कि वह आप पर भरोसा कर सकती है और आप हमेशा उसके लिए मौजूद रहेंगे।
सपोर्ट (Support): अपनी बेटी के सपनों और लक्ष्यों का समर्थन करें। उसकी रुचियों और गतिविधियों में शामिल हों। जब उसे प्रोत्साहन और मार्गदर्शन की आवश्यकता हो तो उसे सलाहदें। उसे विश्वास दिलाएं कि आप हमेशा उसकी पीठ ठोके रहेंगे।
सम्मान (Respect): अपनी बेटी को एक व्यक्ति के रूप में सम्मान दें। उसकी राय और विचारों को महत्व दें। उसके साथ सम्मान से बात करें, भले ही आप उससे सहमत न हों। उसे सिखाएं कि खुद का और दूसरों का सम्मान कैसे करें।
इसे भी पढ़ें: Parenting Tips: समर वैकेशन में बच्चों को खेल-खेल में सिखाएं नई चीजें, मौज-मस्ती के साथ जुड़ेगा नया हुनर
सीमाएं (Boundaries): स्वस्थ सीमाएं निर्धारित करें और उनका पालन करें। अपनी बेटी को सिखाएं कि अपनी सीमाओं को कैसे पहचानें और उनका संचार कैसे करें। अनुशासन बनाए रखें, लेकिन सख्ती न करें। अपनी बेटी को स्वतंत्रता दें, लेकिन उसे जिम्मेदारी भी सिखाएं।
धैर्य (Patience): किशोरावस्था एक कठिन दौर होता है, इसलिए धैर्य रखें। अपनी बेटी के ऊपर गुस्सा न करें या निराश न हों। समझें कि वह बदलावों से गुजर रही है और उसे आपकी मदद की ज़रूरत है। उसे प्यार दें और समझने की कोशिश करें। समय-समय पर सपोर्ट दें।