Maharashtra Forts: महाराष्ट्र को किलों की भूमि कहा जाता है, जहां हर किला एक वीरता की गाथा समेटे हुए है। ये किले सिर्फ पत्थरों की दीवारें नहीं, बल्कि मराठा साम्राज्य की शौर्यगाथा, रणनीतिक कौशल और गौरवशाली इतिहास के गवाह हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज ने इन्हें अपनी सैन्य शक्ति का आधार बनाया, जिससे ये दुश्मनों के लिए अजेय साबित हुए। आज ये किले इतिहास प्रेमियों, साहसिक यात्रियों और ट्रेकिंग के शौकीनों को रोमांचित करते हैं।
हर किले की अपनी खास पहचान है—रायगढ़ जहां मराठा साम्राज्य फला-फूला, तो सिंहगढ़ तानाजी मालुसरे की वीरता का प्रतीक है। चाहे इतिहास की गहराई में झांकना हो या ऊंची चढ़ाई का रोमांच महसूस करना हो, महाराष्ट्र के किले आप फैमिली के साथ विजिट कर सकते हैं।
महाराष्ट्र के 6 लोकप्रिय किले
रायगढ़ किला – शिवाजी महाराज की राजधानी
रायगढ़ किला छत्रपति शिवाजी महाराज की राजधानी और मराठा साम्राज्य की शान था। यह किला समुद्र तल से 2,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए 1,737 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इस किले में शिवाजी महाराज की समाधि भी स्थित है। रायगढ़ किला रणनीतिक दृष्टि से बेहद मजबूत था और इसे मराठा साम्राज्य का अभेद्य किला माना जाता था।
शिवनेरी किला – शिवाजी महाराज का जन्मस्थल
शिवनेरी किला, शिवाजी महाराज का जन्मस्थल है और ऐतिहासिक महत्व रखता है। यह किला पुणे जिले में स्थित है और इसकी दीवारें इतनी मजबूत हैं कि यह कभी भी शत्रुओं के कब्जे में नहीं आया। किले के अंदर शिवाजी महाराज और उनकी माता जीजाबाई की प्रतिमा स्थित है। यहां एक बड़ा जलाशय भी है, जिसे ‘बादामी तालाब’ कहा जाता है।
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सिंहगढ़ किला – मराठाओं की वीरता का प्रतीक
सिंहगढ़ किला पुणे से लगभग 30 किमी दूर स्थित है और मराठाओं की बहादुरी की निशानी है। 1670 में तानाजी मालुसरे ने मुगलों से यह किला जीत लिया था, लेकिन इस युद्ध में उन्होंने अपना जीवन बलिदान कर दिया। तब शिवाजी महाराज ने कहा था, "गढ़ तो जीत लिया, लेकिन सिंह चला गया।" यह किला ट्रेकिंग के लिए भी मशहूर है और पुणेवासियों का पसंदीदा वीकेंड डेस्टिनेशन है।
प्रतापगढ़ किला – अफजल खान का अंत
प्रतापगढ़ किला महाबलेश्वर के पास स्थित है और इसे 1656 में शिवाजी महाराज ने बनवाया था। यही वह किला है जहां 1659 में शिवाजी महाराज और अफजल खान के बीच ऐतिहासिक युद्ध हुआ था, जिसमें शिवाजी ने अपनी चतुराई से अफजल खान का वध किया था। किले के ऊपरी भाग से सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला का शानदार नजारा देखा जा सकता है।
लोहागढ़ किला – अभेद्य दुर्ग
लोहागढ़ किला लोनावला के पास स्थित है और इसका नाम इसकी मजबूत लोहे जैसी दीवारों के कारण पड़ा। इसे मराठाओं का अभेद्य किला कहा जाता है क्योंकि कई आक्रमणों के बावजूद इसे कभी पूरी तरह से जीता नहीं जा सका। यह किला हरे-भरे जंगलों और झरनों से घिरा हुआ है, इसलिए मानसून के दौरान ट्रेकिंग के लिए लोगों की पहली पसंद बन जाता है।
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दौलताबाद किला – कभी न डूबने वाला सूर्य
औरंगाबाद के पास स्थित दौलताबाद किला प्राचीन यादव वंश द्वारा बनवाया गया था। इसे पहले ‘देवगिरी’ कहा जाता था, लेकिन मोहम्मद बिन तुगलक ने इसे अपनी राजधानी बनाकर ‘दौलताबाद’ नाम दिया। यह किला अपनी जटिल सुरंगों, गुप्त दरवाजों और मजबूत किलेबंदी के लिए प्रसिद्ध है। इसकी बनावट इसे लगभग अजेय बनाती थी।