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Blood Clots: शरीर में ब्लड क्लॉटिंग चोट के दौरान खून रोकने के लिए जरूरी है, लेकिन अगर ये नसों और धमनियों में होने लगे तो जान पर बन सकती है।

Blood Clots: दुनियाभर में कोरोना से बचने के लिए जमकर वैक्सीनेशन हुआ है। हालांकि लोगों को लगे इन वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को लेकर कई सवाल अब तक उठ रहे हैं। कई स्टडीज में कोरोना वैक्सीन के दुष्प्रभावों का दावा किया गया है। इनमें से एक ब्लड क्लॉटिंग का भी है। शरीर में जरूरत से ज्यादा ब्लड क्लॉटिंग होना जानलेवा साबित हो सकती है। 

हाल ही में ये वैक्सीन बनाने वाली ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में वैक्सीन के साइड इफेक्ट होने की आशंका को स्वीकार किया है। एक दुष्प्रभाव नसों में खून का थक्का जमने का भी है, जिसके चलते हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है। 

ब्लड क्लॉट क्या काम करता है?
शरीर में जब कहीं घाव हो जाए तो खून तेजी से बहना शुरू हो जाता है, लेकिन कुछ वक्त बाद खून के ऊपर एक मोटी सी परत बनने लगती है और ब्लड बहना कम होने लगता है। दरअसल, ये ब्लड क्लॉटिंग होती है जो कि खून को बहने से रोकती है।

अगर ब्लड क्लॉटिंग न हो तो एक बार शरीर में चोट लगने के बाद खून बहना बंद ही न हो। हालांकि ब्लड क्लॉटिंग ज्यादा होने लगे तो ये जानलेवा भी साबित हो सकती है। 

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ब्लड क्लॉटिंग कहां होती है?
वेबएमडी के मुताबिक ब्लड क्लॉट्स नसों और धमनियोंम में होते हैं। नसें हमारे शरीर में खून को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का काम करती हैं। नसें अगर डैमेज हो जाएं तो ब्लड क्लॉटिंग अपने आप होने लगती है और नसें ठीक होती हैं। हालांकि कई बार नसों में इंजुरी हुए बिना भी ब्लड क्लॉटिंग शुरू हो जाती है, जिससे नसों में खून का प्रवाह प्रभावित होने लगता है। 

ब्लड क्लॉटिंग शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। ये हार्ट वेसल्स, ब्रेन, फेफड़े, यूरिन, पैर, हाथ, घुटनों के पीछे समेत शरीर के अन्य हिस्सों में हो सकती है। ब्लड क्लॉटिंग होने पर डॉक्टर को दिखाना जरूरी है। 

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ब्लड क्लॉटिंग का नुकसान
शरीर में अगर किसी हिस्से में ज्यादा ब्लड क्लॉट्स हो जाएं तो ये ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करते हैं। खासतौर पर दिल और दिमाग में अगर क्लॉटिंग हो जाए तो इससे हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक होने का रिस्क काफी बढ़ जाता है।   

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