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Bihar Diwas 2025: शांति और क्रांति की धरती बिहार आज 113 साल की हो गई है। सन् 1912 में आज ही के दिन बंगाल प्रेसीडेन्सी से अलग होकर बिहार अस्तित्व में आया था।

Bihar Diwas 2025: शांति और क्रांति की धरती बिहार आज 113 साल की हो गई है। सन् 1912 में आज ही के दिन बंगाल प्रेसीडेन्सी से अलग होकर बिहार अस्तित्व में आया था। आज अगर बिहार न होता, तो भारत शायद कभी विश्वगुरु न बन पाता। बिहार की धरती पर ऐसे कई महापुरूष जन्में है, जिन्होंने भारत के मान को वैश्विक स्तर पर बढ़ाया है। बिहार 113 साल से नालंदा की भूमि से लेकर बोधगया जैसी ऐतिहासिक धरोहरों को संजोकर रखा है।  आइए, आज बिहार दिवस के अवसर पर गौरवशाली इतिहास और गाथाओं के पन्ने पलटें और जानें कि कैसे बिहार ने भारत ही नहीं, पूरे विश्व को रोशन किया।  

बिहार ने विश्व स्तर पर बढ़ाया भारत का मान
बुध्द की भूमि बिहार न केवल भौगोलिक प्रदेश है, बल्कि एक जीवंत गाथा है। एक ऐसी गाथा, जिसने भारत समेत पूरी दुनियाभर के इतिहास को आकार दिया। यहां बुध्द को ज्ञान मिला, महावीर को मोक्ष और देश को राजेंद्र प्रसाद जैसे महान नेता। यह वही, बिहार है, जहां वैशाली में दुनिया का पहला गणराज्य फला-फूला, महात्मा गांधी को अपने सत्याग्रह की शक्ति मिली। साथ ही भारत को सबसे ज्यादा IAS-IPS और देश का 90% मखाना भी यही निकलता है। 

इतना ही नहीं... पूरे विश्व को शिक्षा का प्रकाश दिया और जहां विदेशी यात्री मेगस्थनीज, फ़ा-हिएन और ह्वेनसांग ने आकर नालंदा और विक्रमशिला  समृद्धि का बखान किया। बिहार न केवल इतिहास की विरासत है, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए प्रेरणा है।

बिहार- प्राचीन सभ्यता की उत्पत्ति
बिहार में मानव सभ्यता की शुरुआत नवपाषाण युग (Neolithic Age) से हुई थी, यानी लगभग 2500 ईसा पूर्व. चिरांद नामक जगह, जो आज सारण जिले में है, भारत की सबसे पुरानी बस्तियों में से एक मानी जाती है। यहां के खुदाई में मिले सामान से पता चलता है कि उस समय लोग खेती, पशुपालन और बर्तन बनाने के काम में माहिर थे। 

इसके बाद, लगभग 600 ईसा पूर्व, बिहार में मगध साम्राज्य का उदय हुआ, जो भारतीय इतिहास में एक अहम मोड़ था। मगध साम्राज्य ने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर अपनी धाक जमाई। राजगृह (जो आज के राजगीर के नाम से जाना जाता है) मगध का प्रमुख शहर था, और यहीं से मगध की शक्ति फैलकर पूरे भारत में प्रभावी हुई। 

बिहार: ज्ञान, आध्यात्मिकता और महान व्यक्तित्वों की भूमि
बिहार सिर्फ राजनीति का केंद्र नहीं था, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक स्थान भी रहा है। यहां पर महान संत बुद्ध और महावीर का जन्म हुआ था, जिन्होंने अहिंसा, शांति और ज्ञान के महत्वपूर्ण संदेश पूरे दुनिया में फैलाए। बोधगया, जहां बुद्ध को ज्ञान मिला था, आज भी बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है। वहीं, वैशाली में भगवान महावीर का जन्म हुआ था, जिन्होंने जैन धर्म की शुरुआत की थी।

नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों ने बिहार को ज्ञान की राजधानी बना दिया। नालंदा, जो गुप्त साम्राज्य के दौरान स्थापित हुआ था, दुनिया भर से छात्रों को आकर्षित करता था।

इसके अलावा, चाणक्य, जिन्होंने अर्थशास्त्र की गहरी समझ दी, उनका भी जन्म बिहार में हुआ था। और भारत के पहले राष्ट्रपति, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जो एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, भी बिहार से ही थे।
 

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