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Depression Symptoms: आजकल कम उम्र में भी लोग डिप्रेशन के शिकार होने लगे हैं। डिप्रेशन को हल्के में न लें और 5 लक्षण दिखाई दें तो सतर्क हो जाएं।

Depression Symptoms: तेज़ भागती ज़िंदगी, बढ़ती जिम्मेदारियाँ और अकेलापन आज के दौर में मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रहे हैं। इन्हीं समस्याओं में से एक है डिप्रेशन (अवसाद), जो धीरे-धीरे मन और शरीर दोनों को जकड़ लेता है। यह एक मानसिक स्थिति है जो व्यक्ति की सोच, व्यवहार, कार्यक्षमता और भावनाओं को प्रभावित करती है। अक्सर लोग इसे सामान्य उदासी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन समय रहते इसके लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है।

डिप्रेशन कोई कमजोरी नहीं, बल्कि एक इलाज योग्य मानसिक स्थिति है। अगर हम इसके शुरुआती संकेतों को समझें और समय रहते उचित कदम उठाएं, तो इससे बाहर निकलना संभव है।

डिप्रेशन के शुरुआती 5 लक्षण

लगातार उदासी और निराशा महसूस होना
अगर कोई व्यक्ति हफ्तों तक लगातार उदासी, खालीपन या निराशा महसूस करता है, तो यह डिप्रेशन का पहला संकेत हो सकता है। इसमें किसी भी चीज़ में खुशी महसूस नहीं होती, चाहे वो पहले पसंदीदा गतिविधियाँ ही क्यों न हों।

नींद से जुड़ी समस्याएं
डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्ति को या तो नींद नहीं आती (अनिद्रा), या फिर ज़रूरत से ज़्यादा नींद आती है। दोनों ही स्थितियाँ व्यक्ति की ऊर्जा, मनोदशा और कार्यक्षमता को बुरी तरह प्रभावित करती हैं।

भूख और वजन में बदलाव
कुछ लोगों में डिप्रेशन के कारण भूख खत्म हो जाती है और वजन कम होने लगता है, जबकि कुछ लोग ज़्यादा खाने लगते हैं, जिससे वजन बढ़ जाता है। यह भावनात्मक असंतुलन के कारण होता है।

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आत्मग्लानि और बेकार महसूस करना
डिप्रेशन से जूझ रहे लोग अक्सर खुद को दोषी, निकम्मा या असफल महसूस करते हैं। यह भावना उन्हें और गहराई में ले जाती है और आत्म-संवेदना को नष्ट कर देती है।

एकाग्रता में कमी और निर्णय न ले पाना
डिप्रेशन व्यक्ति की सोचने और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है। रोज़मर्रा के छोटे निर्णय भी कठिन लगने लगते हैं और एकाग्रता बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।

डिप्रेशन से बाहर निकलने के उपाय

प्रोफेशनल मदद लें
काउंसलर या साइकॉलजिस्ट से बात करना डिप्रेशन से उबरने का पहला और सबसे अहम कदम हो सकता है। थेरेपी या जरूरत पड़ने पर दवाएं व्यक्ति को धीरे-धीरे ठीक करने में मदद करती हैं।

अपने विचार साझा करें
दोस्तों, परिवार या किसी भरोसेमंद व्यक्ति से अपने विचार और भावनाएं बांटना मानसिक बोझ को हल्का करता है। अकेले रहना डिप्रेशन को और बढ़ाता है।

नियमित दिनचर्या और व्यायाम
सुबह जल्दी उठना, व्यायाम करना और समय पर सोना-खाना मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है। हल्की एक्सरसाइज और योग मानसिक शांति प्रदान करते हैं।

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सोशल एक्टिविटीज़ में भाग लें
दूसरों से मिलना-जुलना, छोटी ट्रिप पर जाना या कोई नया शौक अपनाना जैसे कदम मानसिक स्थिति को बदलने में सहायक हो सकते हैं। यह मस्तिष्क को नए विचार और ऊर्जा देता है।

खुद से दयालुता से पेश आएं
डिप्रेशन के दौरान खुद को दोष देना या खुद से नाराज़ रहना आम है, लेकिन इस समय खुद को समझना और सहानुभूति दिखाना सबसे ज़रूरी होता है। सकारात्मक सोच और आत्म-प्रोत्साहन से मन को राहत मिलती है।

(Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई सामग्री सिर्फ जानकारी के लिए है। हरिभूमि इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी सलाह या सुझाव को अमल में लेने से पहले किसी विशेषज्ञ/डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)

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