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Positive Parenting: बच्चे की ओवरऑल ग्रोथ के लिए पैरेंट्स को खास प्रयास करने होते हैं। इसमें पॉजिटिव पैरेंटिंग काफी मददगार साबित हो सकती है।

Positive Parenting: हर पैरेंट्स की ख्वाहिश होती है कि उनके बच्चे की ओवरऑल ग्रोथ हो। इस चाहत को पॉजिटिव पैरेंटिंग पूरा कर सकती है। सकारात्मक तौर से बच्चे के जीवन के हर पहलू का विकास करना पॉजिटिव पैरेंटिंग के तहत आता है। बच्चे को अनुशासित बनाने के साथ पॉजिटिव पैरेंटिंग उन्हें कॉन्फिडेंट भी बनाती है। जिंदगी को लेकर बच्चों का नज़रिया पॉजिटिव होने लगता है। 

पॉजिटिव पैरेंटिंग एक ऐसी परवरिश की शैली है जिसमें बच्चों को प्यार, समर्थन और सकारात्मक माहौल प्रदान किया जाता है। इस तरह की परवरिश में बच्चों की गलतियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय उनकी उपलब्धियों और अच्छे गुणों को बढ़ावा दिया जाता है। 

पॉजिटिव पैरेंटिंग के 7 टिप्स

प्रशंसा और प्रोत्साहन: बच्चों की छोटी-छोटी उपलब्धियों के लिए भी उनकी प्रशंसा करें। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे आगे और बेहतर करने के लिए प्रेरित होंगे।

सुनें और समझें: बच्चों की बातों को ध्यान से सुनें और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें। उन्हें महसूस कराएं कि आप उनकी परवाह करते हैं।

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सीमाएं निर्धारित करें: बच्चों को स्वतंत्रता दें लेकिन साथ ही सीमाएं भी निर्धारित करें। इससे उन्हें सुरक्षित महसूस होगा और वे अनुशासन सीखेंगे।

सकारात्मक मॉडल बनें: बच्चों के सामने सकारात्मक व्यवहार करें। वे आपके व्यवहार को देखकर ही सीखते हैं।

समस्याओं को मिलकर सुलझाएं: जब भी कोई समस्या आए तो बच्चों को इसका समाधान ढूंढने में शामिल करें। इससे वे समस्याओं का सामना करने की क्षमता विकसित करेंगे।

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गलतियों से सीखना सिखाएं: बच्चों को यह समझाएं कि गलतियाँ करना स्वाभाविक है और उनसे सीखने का मौका मिलता है।

गुणवत्तापूर्ण समय बिताएं: बच्चों के साथ खेलें, बातचीत करें और यादगार पल बनाएं। इससे आपका बंधन मजबूत होगा।

पॉजिटिव पैरेंटिंग के फायदे

  • बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • वे अधिक स्वतंत्र और जिम्मेदार बनते हैं।
  • उनमें सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।
  • वे दूसरों के साथ अच्छे संबंध बना पाते हैं।
  • वे जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होते हैं।

ध्यान रखें
पॉजिटिव पैरेंटिंग एक सतत प्रक्रिया है। इसमें धैर्य और लगन की आवश्यकता होती है। हर बच्चा अलग होता है, इसलिए आपको अपने बच्चे के अनुसार अपनी परवरिश की शैली में बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है।

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